CG News: मूलभूत तथ्यों की पुष्टि आवश्यक
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस बिभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने कहा कि जो पक्ष द्वितीयक साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहता है, उसे यह सिद्ध करना होगा कि मूल साक्ष्य प्रस्तुत न करने के पीछे क्या कारण हैं यानी कि
मूलभूत तथ्य क्या हैं। कोर्ट ने कहा- ‘‘यह स्थापित सिद्धांत है कि साक्ष्य अधिनियम, 1872 के तहत तथ्यों को प्राथमिक साक्ष्य से साबित करना होता है। द्वितीयक साक्ष्य केवल अपवादस्वरूप ही स्वीकार किया जाता है, जिसके लिए मूलभूत तथ्यों की पुष्टि आवश्यक है।’
कोर्ट ने भी कहा कि किसी दस्तावेज़ से संबंधित द्वितीयक साक्ष्य केवल तभी स्वीकार किया जा सकता है, जब यह सिद्ध हो कि मूल दस्तावेज़ खो गया, नष्ट हो गया या जानबूझकर उस पक्ष द्वारा रोका गया हो, जिसके खिलाफ उस दस्तावेज़ को साबित किया जा रहा है।
जांच और बयान के दौरान पीड़िता ने नहीं दिया कोई दस्तावेज
याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई कि यह इकरारनामा न तो जांच के दौरान प्रस्तुत किया गया था, न ही सीआरपीसी की धारा 161 या 164 के तहत बयान के समय। इसे रिकॉर्ड पर लेने के लिए कोई आवेदन भी नहीं दिया गया। इसके बावजूद क्रॉस एक्जामिनेशन के दौरान फोटोकॉपी कोर्ट में प्रस्तुत की गई और बिना सूचना दिए यह स्वीकार भी कर ली गई।
जांच और आरोपपत्र की प्रक्रिया के बाद अचानक प्रस्तुत दस्तावेज मान्य नहीं
CG News: साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 और 66 का हवाला देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि अधिनियम की धारा 65 से स्पष्ट होता है कि द्वितीयक साक्ष्य तभी दिया जा सकता है, जब मूल दस्तावेज़ उस व्यक्ति के पास हो, जिसके खिलाफ दस्तावेज़ प्रस्तुत किया जा रहा है, और धारा 66 के तहत नोटिस देने के बावजूद वह दस्तावेज़ प्रस्तुत न करे। इस मामले में प्रस्तुत इकरारनामा न तो चार्जशीट का हिस्सा है और न ही पीड़िता ने इसे जांच के दौरान प्रस्तुत किया, इसलिए इसे क्रॉस एक्जामिनेशन के दौरान अचानक प्रस्तुत करना और स्वीकार करना विधिसम्मत नहीं है।
यह है मामला: कोर्ट ने आरोप तय किए
सरगुजा निवासी विजय उरांव के खिलाफ महिला ने लिखित शिकायत दर्ज कराई कि याचिकाकर्ता ने विवाह का झूठा वादा कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और बाद में विवाह से इनकार कर दिया। इसके आधार पर धारा 376, 417 के तहत मामला दर्ज कर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। चार्जशीट दाखिल होने पर ट्रायल कोर्ट ने आरोप तय किए। जिरह के दौरान महिला ने विवाह संबन्धी एक एग्रीमेंट प्रस्तुत किया, जिसे ट्रायल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।