इस मुद्दे पर उनके अधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने वर्ष 2022 में याचिका प्रस्तुत कर
हाईकोर्ट की एकलपीठ से अंतरिम राहत प्राप्त की है। इसके बाद प्राइवेट स्कूल अभिभावकों पर अत्यधिक मंहगे निजी पब्लिकेशन की पुस्तकों को खरीदने का दबाव बना रहे है, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक भार पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत वर्ष 2012 से कानूनी लड़ाई जारी है। 2016 में हाईकोर्ट ने विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किए थे। मगर, निजी स्कूलों ने इन्हें सही ढंग से लागू नहीं किया। इस लापरवाही और अनियमितता को देखते हुए फिर से याचिका दायर की गई है।
एडमिशन निरस्त न करने के निर्देश
आरटीई के तहत प्रवेश निरस्त करने पर कुछ छात्रों ने भी याचिका प्रस्तुत की थी। ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेशित किया कि जिन छात्रों का प्रवेश हो गया है उसे निरस्त नही किया जाए। यह आदेश ऐसे सभी छात्रों पर लागू होगा।