शिक्षा माफिया और स्कूलों के बीच सांठ-गांठ इतनी मजबूत है कि अभिभावक को किताब और कॉपी किस दुकान से खरीदनी है, यह उनकी मर्जी पर निर्भर नहीं है बल्कि स्कूल प्रबंधन की ओर से विद्यार्थियों को किताब और कॉपी की सूची थमाई जा रही है।
विद्यार्थियों को यह बताया जा रहा है कि उनकी पुस्तकें और कॉपियां किस दुकान में मिलेंगी। जब विद्यार्थी अपने अभिभावक के साथ स्कूल की ओर से किताब-कॉपी के संबंध में दिए गए पर्ची लेकर संबंधित किताब-कॉपी की दुकान में पहुंचते हैं, तो कीमत सुनकर उनके पाँव तले जमीन खिसक रही है।
अभिभावकों का कहना है कि स्कूल के बताए गए दुकानों में किसी भी प्रकार की छूट नहीं मिलती है। पुस्तकों के साथ ही कॉपियों को भी वहीं से खरीदना पड़ रहा है। ऐसे में उनके जेब पर कॉपी-किताबों का अधिक बोझ पड़ रहा है।
पांचवी से आठवीं की किताबें 4 से 5 हजार में
नर्सरी कक्षा में पढ़ाने वाले बच्चों की किताबों का सेट 1565 रुपए में मिल रहा है। अभिभावक बच्चे के लिए कॉपी भी उसी दुकान से लेते हैं जहाँ
स्कूल की तरफ से भेजा गया है, तब किताब और कॉपी की कीमत मिलाकर 2000 रुपए तक हो जा रही है। एलकेजी की किताबें भी 1770 रुपए में मिल रही हैं। कॉपी की कीमतों को जोड़ दें तो कुल कीमत 2200 रुपए पहुँच जा रही है। पाँचवीं से आठवीं की किताब की कीमत 4096 से 5500 रुपए में आ रही है।
सीधे बुक का मिल रहा सेट
शहर के मंगला चौक स्थित एक निजी स्कूल प्रबंधन ने गांधी चौक दयालबंद के पास एक निजी बुक्स दुकान को अपने यहां के छात्रों के लिए कॉपी-पुस्तक के लिए निर्धारित कर रखा है। यहां पत्रिका की टीम पहुंची और संबंधित स्कूल का नाम बताकर 6वीं कक्षा की पुस्तकें मांगी, तो दुकानदार ने एक-एक पुस्तक दिखाने की जगह सीधे पुस्तकों का एक सेट ही दे दिया।
दुकानदार का कहना है कि इस सेट को स्कूल प्रबंधन के बताए अनुसार ही बनाया गया है। इस सेट में एनसीईआरटी की जगह निजी पब्लिशर के ही किताबें नजर आ रही थीं। दाम भी अन्य दुकानों से अधिक रहा।
निजी स्कूल प्रबंधन को शिक्षा विभाग जल्द ही निर्देश जारी करेगा कि वे बेवजह की बुक्स खरीदवाकर बस्ते का वजन न बढ़ाएं। एनसीईआरटी के ही पुस्तकों से पढ़ाई कराएं। कैंपस में बुक स्टॉल न रखें और अभिभावकों को चिन्हांकित स्टोर से कॉपी-किताब खरीदने के लिए बाध्य न करें। – डॉ. अनिल तिवारी, जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर