scriptअनुकंपा नियुक्ति पर हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी! पिता की नौकरी के बदले अनुकंपा नियुक्ति की मांग, 12 साल बाद सामने आया बेटा… | Compassionate appointment sought 12 years after the death of the employee rejected | Patrika News
बिलासपुर

अनुकंपा नियुक्ति पर हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी! पिता की नौकरी के बदले अनुकंपा नियुक्ति की मांग, 12 साल बाद सामने आया बेटा…

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट में कार्यरत कर्मचारी की मौत के 12 साल बाद खुद को मृतक कर्मचारी का बेटा होने का दावा करते हुए युवक ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग की।

बिलासपुरJun 05, 2025 / 07:16 am

Khyati Parihar

हाईकोर्ट का आदेश (Photo Patrika)

हाईकोर्ट का आदेश (Photo Patrika)

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट में कार्यरत कर्मचारी की मौत के 12 साल बाद खुद को मृतक कर्मचारी का बेटा होने का दावा करते हुए युवक ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता और मृत कर्मचारी के रिश्ते को लेकर विवाद है।

संबंधित खबरें

इस विवाद का निपटारा करना दायर याचिका के क्षेत्राधिकार से बाहर है। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने मामले के निपटारे के लिए सिविल कोर्ट में मामला दायर करने की छूट दी है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्रमुख पक्षकार बनाया था।

यह है मामला

बिलासपुर यदुनंदन नगर निवासी गणेश नायडू हाईकोर्ट में भृत्य के पद पर कार्यरत थे।16 जून 2010 को सेवा के दौरान इनकी मृत्यु हो गई। पत्नी पूजा नायडू पहले से ही हाईकोर्ट में कार्यरत थीं। पति की मौत के बाद पत्नी पूजा की भी सेवाकाल के दौरान ही मृत्यु हो गई। मां की मृत्यु के बाद बेटी ऋचा नायडू को अनुकंपा नियुक्ति दी गई। बाद में सेवा से हटा दिया गया। उसलापुर निवासी नीलकांत नायडू ने 9 फरवरी 2022 को खुद को गणेश नायडू का पुत्र और आश्रित बताते हुए अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया। 26 मई 2022 को उसका आवेदन खारिज कर दिया गया।
यह भी पढ़ें

CG High Court: 4 साल की मासूम को छोड़ किसी और के साथ रहने चली गई महिला, मां बोली- नशे की गिरफ्त में है बेट… जारी हुआ ये आदेश

मृतक दंपती ने दस्तावेजों में सिर्फ बेटी होने की जानकारी दी थी

मामले की सुनवाई के दौरान नायडू द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेज का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि मृतक कर्मचारी ने अपने नामांकन फॉर्म में पत्नी पूजा नायडू और बेटी ऋचा नायडू को नामांकित किया था। परिवार सूची में याचिकाकर्ता का नाम नहीं था। पूजा नायडू ने हलफनामा देकर कहा था कि गणेश नायडू से उसकी केवल एक बेटी ऋचा है। बाकी बच्चे उनके पति के बड़े भाई के हैं।
याचिकाकर्ता ने इसके जवाब में मृत कर्मचारी की भाभी उषा मूर्ति का शपथ पत्र प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया था कि गणेश नायडू की दो पत्नियां रेशमा और पूजा थीं। याचिकाकर्ता रेशमा से जन्मा बेटा है। ऋचा नायडू को दी गई अनुकंपा नियुक्ति वापस ली जा चुकी है। बाकी बेटियां दावा नहीं कर रहीं, इसलिए उसे नियुक्ति दी जाए। इसके साथ ही 14 जून 2013 के सर्कुलर का हवाला दिया गया जिसमें आश्रित पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति का हकदार बताया गया है।

हाईकोर्ट ने दिया यह फैसला

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर पाया कि मृत कर्मचारी उसके पिता थे और वह उनका बेटा है। केवल परिवार सूची में नाम होने से नियुक्ति का अधिकार नहीं बनता। पूजा नायडू ने हलफनामें में स्पष्ट किया था कि ऋचा ही उसकी एकमात्र बेटी है, यह हलफनामा सर्विस बुक का हिस्सा है। कोर्ट ने कहा कि मृतक कर्मचारी की मृत्यु के समय पत्नी सेवा में थी, नियमानुसार अनुकंपा नियुक्ति का दावा नहीं बनता।

Hindi News / Bilaspur / अनुकंपा नियुक्ति पर हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी! पिता की नौकरी के बदले अनुकंपा नियुक्ति की मांग, 12 साल बाद सामने आया बेटा…

ट्रेंडिंग वीडियो