लोग या तो इसे किस्मत का खेल मानकर चुप रह जाते हैं या फिर सरकारी तंत्र की पेचीदगियों से बचने के लिए शिकायत दर्ज कराने से कतराते हैं। ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है कि डॉग बाइट पर स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य शासन तक के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है। पीड़ित को सीधे राज्य शासन से मुआवजा या क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार है।
Dog Bite in CG: आवारा स्वानों के काटने की घटनाएं
ग्राम पंचायत, नगर पालिया या नगर निगम के उदासीन रवैये से आवारा स्वानों की न तो नियमित अंतराल में नसबंदी की जा रही और न ही रैबीज रोधी टीकाकरण की किया जा रहा है। यही वजह है साल-दर-साल आवारा स्वानों की तादाद बढ़ती जा रही है। अगर ये शांत रहें तो ठीक पर ऐसा नहीं है। विशेष कर रात में झुंड में ये स्वान राहगीरों पर हमला कर दे रहे हैं।
शहर के विभिन्न इलाकों में रात में चौक-चौराहों में ये घटनाएं आम हो चली हैं। यही वजह है कि जिले के विभिन्न अस्पतालों में प्रतिदिन औसतन डॉग बाइट के 10 मामले सामने आ रहे हैं। हैरानी की बात ये है ऐसी घटना के बाद पीड़ित अस्पताल पहुंच कर इलाज करा ले रहा है, पर इसके खिलाफ आवाज नहीं उठा रहा।
दरअसल ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है कि डॉग बाइट होने पर इसकी जिम्मेदारी स्थानीय
जिला प्रशासन, नगर निगम, नगर पालिका या ग्राम पंचायत ही नहीं स्वयं राज्य सरकार पर भी है। इन सरकारी संस्थाओं के खिलाफ मामला दायर कर मुआवजा या क्षतिपूति पाई जा सकती है।
ऐसे लिया जा सकता है मुआवजा
शहरी परिक्षेत्र में आवारा स्वान के काटने पर नगर निगम में लिखित शिकायत दर्ज कराएं। अगर नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं करता, तो कंज्यूमर कोर्ट, सिविल कोर्ट या
हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। राष्ट्रीय अथवा राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज की जा सकती है।
नगर निगम, नगर पालिका या ग्राम पंचायत क्षेत्र
नगर निगम, नगर पालिका या ग्राम पंचायत क्षेत्र में आवारा स्वानों को नियंत्रित करना, उनकी वैक्सीनेशन व नसबंदी कराना उनकी जिम्मेदारी होती है। यदि वे इस जिम्मेदारी में असफल रहते हैं तो प्रभावित व्यक्ति मुआवजे के लिए उन पर दावा कर सकता है। आवारा स्वान के काटने से हुई दो व्यक्तियों की मौत के मामले में मृतकों के परिजन डोंगरगांव निवासी जमुना बाई साहू और लुकेश कुमार रजक ने मुआवजा देने
हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट की डीबी बेंच ने 28 अप्रैल 2023 को आदेश जारी करते हुए कलेक्टर राजनांदगांव को पीड़ितों को 6.50-6.50 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया था।
डॉग बाइट से रोज 10 जख्मी, हाईकोर्ट दो मामलों में दिलवा चुका है 10-10 लाख रुपए मुआवजा
भनपुरी में एक बच्ची को आवारा स्वान ने बुरी तरह काट लिया था। इससे उसे रैबीज हो गया और अंतत: उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेेकर हाईकोर्ट विरुद्ध
छत्तीसगढ़ शासन के तहत डब्ल्यू पी ‘पीआईएल’ 24/ 2017 के अंतर्गत सुनवाई करते हुए 22.08.2017 को पीड़ित परिवार को ₹10 लाख का मुआवजा देने आदेश पारित किया था।
इन मामलों में मिल चुका है मुआवजा
राज्य में पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां पीड़ितों को गंभीर चोटें आईं या जान तक चली गई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दो मामलों, जिसमें पीड़ितों की रैबीज होने से मौत हो गई, पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिलवाया था। इसके बावजूद प्रशासन ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि कुत्तों के हमले की घटनाओं में नगर निगम और
राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती है, क्योंकि सड़कों पर आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या के लिए वे ही जिम्मेदार हैं।
मुआवजा पाने का पीड़ित को अधिकार
डॉग बाइट के मामले सिर्फ व्यक्तिगत समस्या नहीं हैं, बल्कि यह एक बड़ी प्रशासनिक नाकामी को दर्शाते हैं। जब तक नगर निगम और राज्य सरकार की जिम्मेदारी तय नहीं होगी और लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होंगे, तब तक यह समस्या बनी रहेगी। जरूरत इस बात की है कि लोग अपनी आवाज बुलंद करें और सरकार को जवाबदेह बनाएं, ताकि भविष्य में किसी और को इस तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। अगर कोई
आवारा स्वान काटता है, तो नगर निगम, नगर पालिका या संबंधित प्रशासन मुआवजे के लिए जिम्मेदार हो सकता है। पीड़ित व्यक्ति या उसके परिजन उचित मंचों पर शिकायत कर मुआवजे की मांग कर सकते हैं।
पशुपालन विभाग – प्रशासन: कुछ मामलों में पशुपालन विभाग या जिला प्रशासन भी जवाबदेह हो सकता है। खासकर अगर आवारा कुत्तों की समस्या को अनदेखा किया हो।
पालतू स्वान होने पर
यदि स्वान किसी व्यक्ति का पालतू है और उसने किसी को काट लिया, तो उसके मालिक पर जिम्मेदारी आती है। पीड़ित व्यक्ति मुआवजे के लिए कोर्ट में दावा कर सकता है। मुआवजे का प्रावधान
नागरिकों को हर्जाना दिलाने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले मौजूद हैं। स्थानीय निकाय अधिनियम और भ्रष्टाचार एवं लापरवाही से जुड़े कानूनों के तहत मुआवजा मांगा जा सकता है। कोर्ट के अनुसार अगर नगर निगम या प्रशासन की
लापरवाही से स्वान काटता है तो पीड़ित व्यक्ति मुआवजा पाने का हकदार होता है।
शिकायत से इसलिए बच रहे लोग
डॉग बाइट के मामलों में एफआईआर दर्ज न होने का मुख्य कारण लोगों की जागरुकता की कमी है। अधिकतर पीड़ित यह नहीं जानते कि वे इस घटना के लिए नगर निगम और राज्य सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। कुछ लोग पुलिस थाने जाने से बचते हैं, तो कुछ को डर होता है कि लंबी कानूनी प्रक्रिया में समय और पैसे दोनों खर्च होंगे। इसके अलावा, कई बार पुलिस और नगर निगम के अधिकारियों के पास जब
पीड़ित शिकायत लेकर जाते हैं, तो उन्हें टाल दिया जाता है या यह कहकर लौटा दिया जाता है कि यह कोई आपराधिक मामला नहीं है।
गुंडरदेही, बालोद में भी एक व्यक्ति को आवारा स्वान ने काट लिया था। रैबीज होने पर उसकी मौत हो गई थी। इस पर शोभाराम विरुद्ध छत्तीसगढ़ शासन के तहत हाईकोर्ट में मामला दायर हुआ। मामला डब्ल्यू पी सी 1856/2018 के तहत सुनवाई के बाद 10.10.2018 में पीड़ित परिवार को ₹10 लाख बतौर मुआवजा देने आदेश पारित किया था।