जिले में केला उत्पादन अधिक होने के साथ खरीफ सीजन में मक्का, कपास, गेहूं सहित गन्ने की खेती होती है। प्रदेश के कई जिलों में खाद की किल्लत होने से जिले के किसान भी चिंतित है, इसलिए पहले से ही सोसायटी केंद्र एवं निजी दुकानों से डीएपी, यूरिया खाद की मांग बढ़ गई। किसानों को आसानी से खाद मिल जाए इसलिए सभी शासकीय व निजी खाद विक्रेताओं आपूर्ति की जा रही है, निजी खाद दुकानों पर यूरिया, डीएपी के साथ अन्य खाद लेने का भी खेल शुरू हो गया है। पंजीकृत किसानों को सोसायटी केंद्रों के माध्यम से खाद उपलब्ध कराई जा रही है। किसानों को मिक्स खाद का उपयोग अधिक करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
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प्रगतिशील किसान संगठन अध्यक्ष रघुनाथ पाटिल ने कहा कि सहकारी सोसायटी केंद्रों पर भी डीएपी और इफको यूरिया नहीं मिल रहा है। दूसरी कंपनियों का यूरिया है, लेकिन किसान डीएपी की मांग कर रहे हैं। बाजार में भी निजी केंद्रों पर डीएपी लगभग खत्म हो गया। बारिश होने से किसान अब खाद के लिए पहुंच रहे हैं। इफको के अलावा अन्य कंपनियों के खाद मिल रहे हैं। जिन किसानों का सोसायटी में रजिस्ट्रेशन नहीं है उनकी दिक्कत बढ़ जाती है। निजी खाद दुकानदार यूरिया, डीएपी के साथ अन्य खाद लेने का दबाव बनाते है।
तीन हजार टन खाद की डिमांड भेजी
कृषि विभाग उपसंचालक मनोहर देवके ने कहा कि सोसायटी एवं निजी केंद्रों पर खाद की आपूर्ति निरंतर कर रहे हैं। एक हजार मीट्रिक टन यूरिया, दो हजार कॉम्प्लेक्स खाद की डिमांड भेजी है। जिले में 2020013, 24-24 सहित अन्य फर्टिलाइजर उपलब्ध है।किसान एक ही फर्टिलाइजर पर निर्भर न रहकर कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर का उपयोग करे।किसान सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग करें।