रिलायंस इंडस्ट्रीज ने दी सफाई
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को समूह की किसी इकाई के
ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत कराने का कोई इरादा नहीं था और यह आवेदन भूलवश किया गया था, जिसे तुरंत वापस ले लिया गया है। कंपनी ने बयान में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर भारत की जनभावनना से जुड़ गया है और यह देश की बहादूरी का प्रतीक बन गया है।”
कर्मचारी ने बिना अनुमति के ट्रेडमार्क के लिए किया आवेदन
रिलायंस के अनुसार, समूह की कंपनी जियो स्टूडियोज के एक कनिष्ठ कर्मचारी ने बिना अनुमति के ट्रेडमार्क के लिए आवेदन कर दिया था, जिसे वापस ले लिया गया है। कंपनी ने गलती मानते हुए स्पष्ट किया कि इस कार्रवाई के पीछे कोई व्यावसायिक मंशा नहीं थी।
ऑपरेशन सिंदूर पर गर्व है
बयान में कहा गया, “रिलायंस इंडस्ट्रीज और इसके सभी स्टेकहोल्डर्स को पहलगाम में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी हमले के जवाब में किए गए ऑपरेशन सिंदूर पर गर्व है। ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ भारत की अडिग लड़ाई में हमारे बहादुर सशस्त्र बलों की गौरवपूर्ण उपलब्धि है। रिलायंस पुरी तरह से आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में सरकार और भारतीय सेना के साथ खड़ा है।” रियालंस ने कहा कि वह इस संघर्ष में भारत सरकार और देश के सुरक्षा बलों की मदद के लिए पूरी तरह उनके साथ है। कंपनी ने कहा कि ‘भारत प्रथम’ के धेय वाक्य प्रति उसकी प्रतिबद्धता अडिग है।
लगभग 50 फिल्ममेकर्स ने रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशन दिया
ऑपरेशन सिंदूर” शब्द के लिए एक ही क्लास 41 के तहत ट्रेडमार्क आवेदन दिए गए हैं। इसमें शिक्षा, मनोरजंन, मीडिया और सांस्कृतिक सेवायें आती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 50 फिल्ममेकर्स ने ऑपरेशन सिंदूर टाइटल के रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशन दिया है। रिलायंस के अलावा, आवेदकों में मुंबई निवासी मुकेश चेतराम अग्रवाल, भारतीय वायु सेना के सेवानिवृत्त ग्रुप कैप्टन कमल सिंह ओबेर और दिल्ली स्थित वकील आलोक कोठारी शामिल हैं।