इसलिए कड़े प्रावधान
विशेषज्ञों ने कहा, व्यावसायिक घराने गैर-पारिवारिक सदस्यों को इक्विटी हस्तांतरण पर सख्त सीमाएं लगा रहे हैं। वे अपने फैमिली एग्रीमेंट में यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि डायवोर्स के कारण सेटलमेंट के लिए शेयर
ट्रांसफर करने की स्थिति में शेयरों को सबसे पहले मौजूदा
शेयरधारकों या कंपनी को पेश किया जाए। लॉ फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास के ऋषभ श्रॉफ ने कहा, मजबूत सुरक्षा के बिना शेयरधारक का तलाक व्यावसायिक होल्डिंग्स पर दावों को जन्म दे सकता है, कॉर्पोरेट प्रशासन को बाधित कर सकता है और स्वामित्व को कमजोर कर सकता है, जिससे पीढ़ियों से बनी फर्मों की स्थिरता को खतरा हो सकता है।
संपत्तियों की सुरक्षा
व्यवसायी चाहते हैं कि परिवार के शेयरधारक विवाह-पूर्व या विवाह-पश्चात समझौते में प्रवेश करें, जिससे तलाक की स्थिति में स्पष्ट वित्तीय सीमाएं स्थापित हो सके। कानूनी फर्म डीएसके लीगल केआनंद देसाई ने कहा कि कोई भी विवाह-पूर्व अनुबंध जो तलाक और भरण-पोषण के
कानून के विपरीत है, अमान्य होगा। लेकिन सुरक्षा संभव है। ट्रस्ट संरचनाओं के माध्यम से व्यवसाय हिस्सेदारी स्वामित्व की रक्षा करना संभव हो सकता है, जिसमें शेयरों और कॉल विकल्पों के हस्तांतरण पर प्रतिबंध शामिल हैं।
कंपनी में वोटिंग अधिकार
सम्पति संरक्षण के अलावा प्रमोटर अपनी कंपनियों में वोटिंग अधिकार को भी मजबूत कर रहे हैं। गवर्नेंस फ्रेमवर्क में बायबैक प्रावधानों को भी शामिल कर रहे हैं, जिससे उन्हें उन शेयरों को खरीदने की अनुमति मिलती है जो तलाक के समझौते में परिवार नियंत्रण से बहार हो सकते हैं।