सोना या प्लैटिनम?
भारत में निवेश के लिए सोना (गोल्ड) और प्लैटिनम दोनों ही कीमती धातुएं हैं, लेकिन इनके गुण, उपयोग, और निवेश के फायदे-नुकसान अलग-अलग हैं। यह तय करना कि इनमें से कौन सा विकल्प आपके लिए ज्यादा फायदेमंद है, आपकी वित्तीय जरूरतों, जोखिम सहनशीलता, और निवेश के लक्ष्यों पर निर्भर करता है।मूल्य स्थिरता और मांग
सोना (Gold): सोना एक पारंपरिक निवेश विकल्प है, आर्थिक अस्थिरता, मुद्रास्फीति, या भू-राजनीतिक संकट के समय सोने की मांग बढ़ती है, जिससे इसकी कीमतें आमतौर पर स्थिर या बढ़ती हैं। भारत में सोने की मांग आभूषण, निवेश, और सांस्कृतिक कारणों से हमेशा बनी रहती है। प्लैटिनम: प्लैटिनम की कीमतें अधिक अस्थिर होती हैं, क्योंकि इसकी मांग मुख्य रूप से औद्योगिक उपयोग (जैसे ऑटोमोटिव उद्योग में कैटेलिटिक कनवर्टर) पर निर्भर करती है।
लंबी अवधि में रिटर्न
सोना: सोने ने लंबी अवधि में मुद्रास्फीति को मात देने की क्षमता दिखाई है, लेकिन यह आय उत्पन्न नहीं करता (जैसे डिविडेंड या ब्याज)। इसका रिटर्न पूरी तरह से कीमतों में वृद्धि पर निर्भर करता है। भारत में, सोने की कीमतें 2024 में 26% तक बढ़ीं, जो इसे एक आकर्षक विकल्प बनाता है। प्लैटिनम: प्लैटिनम की कीमतें ऐतिहासिक रूप से सोने से अधिक अस्थिर रही हैं। 2008 के वित्तीय संकट के दौरान इसकी कीमतें चरम पर थीं, लेकिन बाद में इसमें गिरावट आई। हाल के वर्षों में, सोने की तुलना में प्लैटिनम सस्ता रहा है, लेकिन भविष्य में ऑटोमोटिव और हाइड्रोजन ईंधन सेल जैसे क्षेत्रों में मांग बढ़ने से इसमें तेजी आ सकती है।
उपयोग और बाजार
सोना: सोने का उपयोग मुख्य रूप से आभूषण (भारत में 50% से अधिक मांग), निवेश, और केंद्रीय बैंकों के भंडार के लिए होता है। इसकी मांग वैश्विक और स्थानीय स्तर पर स्थिर रहती है। प्लैटिनम: प्लैटिनम का 75% उपयोग औद्योगिक क्षेत्र में होता है, खासकर ऑटोमोटिव और तकनीकी क्षेत्रों में। भारत में इसकी मांग आभूषणों के लिए सीमित है, और यह सोने जितना लोकप्रिय नहीं है। ये भी पढ़ें : दुबई में क्यों मिलता है भारत से सस्ता Gold, जानिए कस्टम ड्यूटी दिए बिना कितना ला सकते हैं?