कैसे चुनें सही इंश्योरेंस
—बीमा कंपनी का 3 साल का औसत क्लॅम सेटलमेंट रेश्यो 97% से अधिक होना चाहिए।—97% से अधिक मामलों में क्लेम का भुगतान 30 दिन के अंदर हुआ होना चाहिए।
—पॉलिसीधारकों की शिकायतों की संख्या प्रति 10,000 क्लेम में 20 से कम होनी चाहिए।
—बीमा कंपनी का सालाना कारोबार कम से कम 7500 करोड़ रुपए का होना चाहिए।
कौन-कौन से फीचर्स होने चाहिए
—आईसीयू सहित रूम रेंट की कोई लिमिट नहीं होनी चाहिए।—पॉलिसी में कोई को-पेमेंट या डिडक्टिबल्स नहीं होना चाहिए।
—60 दिन का प्री-हॉस्पिटलाइजेशन कवरेज और 180 दिन का पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन कवरेज होना चाहिए।
—अधिकतम वेटिंग पीरियड 30 दिन का होना चाहिए, क्रिटिकल बीमारियों के लिए यह अवधि ज्यादा से ज्यादा 90 दिन हो।
—पहले से मौजूद बीमारियों के लिए अधिकतम वेटिंग पीरियड 3 साल हो।
—अस्पताल में भर्ती होने के दौरान, दस्ताने, सीरिंज, मास्क जैसी कंज्यूमेबल वस्तुओं का कवरेज हो।
—नो-क्लेम बोनस सालाना कम से कम 50% से दोगुना तक होना चाहिए।
—कैशलेश, अनलिमिटेड रेस्टोरेशन और रिम्बर्समेंट की सुविधा होनी चाहिए।
—डेकेयर कवर, क्रिटिकल इलनेस राइडर होना चाहिए।
—क्रिटिकल इल वेवर ऑफ प्रीमियम और टर्मिनेशल इलनेस बेनिफिट भी हो।
—किसी बीमारी पर कोई कैपिंग नहीं होनी चाहिए।
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ये सुविधाएं हों तो और भी अच्छा
—फ्री-हैल्थ चेकअप, वैकल्पिक उपचार (आयुष) कवरेज, ओपीडी कवरेज।—5 लाख रुपए तक का होम केयर कवरेज, 5 लाख रुपए तक का एम्बुलेंस खर्च।
—ई-कंसल्टेशन सुविधा, 5 लाख तक का डोनर कवरेज, टॉप-अप का विकल्प।
—स्वास्थ्य बीमा में एक्सिडेंटस डेथ बेनिफिट भी होना चाहिए।
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इन चीजों का रखें ध्यान
—वयस्कों के लिए सम इंश्योर्ड कम से कम 10 लाख रुपए और बच्चों के लिए 5 लाख हो।—पैन-इंडिया पॉलिसी और हॉस्पिटल का बड़ा नेटवर्क होना चाहिए।
—इंश्योरेंस कंपनी भरोसेमंद हो और क्लेम सेटलमेंट रेश्यो जितना अधिक उतना अच्छा।
—हमेशा सुपर टॉप-अप को प्राथमिकता दें और बीमा में क्या शामिल नहीं है, इसकी जानकारी रखें।