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छतरपुर

नए सत्र में भी सरकारी स्कूलों में पीने का पानी, क्लास रूम, खेल मैदान की सुविधा की रहेगी कमी

सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की कमी आज भी बनी हुई है। जिले के आठ विकासखंडों में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहां लड़कियों के लिए टॉयलेट तक नहीं है। लडक़ों के लिए टॉयलेट, खेल मैदान की कमी के बीच ऐसे स्कूल सभी ब्लॉक में हैं, जहां स्कूल में क्लास रुम तक नहीं हैं।

छतरपुरMar 17, 2025 / 10:42 am

Dharmendra Singh

school withour playground

जिला मुख्यालय पर भी बिना खेल मैदान वाले स्कूल

बोर्ड परीक्षाएं संपन्न हो गई है। अब नए सत्र की पढ़ाई की तैयारियां शुरु हो गई है। 1 अप्रेल से नया शैक्षणिक सत्र शुरु हो जाएगा। बच्चों को पढ़ाने के लिए शासन पूरे जिले में 2240 शासकीय स्कूलों का संचालन कर रहा है। लेकिन इन सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की कमी आज भी बनी हुई है। जिले के आठ विकासखंडों में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहां लड़कियों के लिए टॉयलेट तक नहीं है। लडक़ों के लिए टॉयलेट, खेल मैदान की कमी के बीच ऐसे स्कूल सभी ब्लॉक में हैं, जहां स्कूल में क्लास रुम तक नहीं हैं।

राजनगर सुविधा देने में सबसे पीछे


जिले के राजनगर ब्लॉक में 348 सरकारी स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। लेकिन इनमें से 50 प्राइमरी स्कूलों में लड़कियों के लिए टॉयलेट ही नहीं है। वहीं 13 मिडिल स्कूल ऐसे हैं, जहां छात्रों के लिए टॉयलेट का इंतजाम अब तक नहीं हो पाया है। प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में टॉयलेट की सुविधा देने के मामले में राजनगर जिले में सबसे पिछड़ा विकासखंड साबित हो रहा है। इतना ही नहीं राजनगर के 50 प्राइमरी और 15 मिडिल स्कूलों में बच्चों के खेलने के लिए मैदान ही नहीं है। सुविधाओं के अभाव की फेहरिस्त यहीं खत्म नहीं हो रही है। ब्लॉक के 25 प्राइमरी व 13 मिडिल स्कूल ऐसे हैं, जहां पर्याप्त क्लास रुम तक नहीं है।

छतरपुर में भी क्लास रूम की कमी


जिला मुख्यालय छतरपुर के विकासखंड अंतर्गत आने वाले सरकारी स्कूलों की स्थिति भी बेहतर नहीं है। विकास खंड के 353 स्कूलों में से 331 में ही पर्याप्त क्लास रुम हैं। 9 प्राइमरी व 9 मिडिल स्कूल में क्लास रूमों का संकट अब भी है। 7 प्राइमरी स्कूलों में लड़कियों के लिए टॉयलेट सुविधा नहीं है। 50 प्राइमरी व 17 मिडिल स्कूलों में खेल मैदान नहीं है। बकस्वाहा विकासखंड के सरकारी स्कूलों में भी सुविधाओं की कमी है। 133 स्कूलों में से 127 में ही क्लास रुम है। 1 प्राइमरी व 3 मिडिल स्कूलों में क्लास रुम नहीं है। 3 प्राइमरी व 6 मिडिल स्कूलों में लड़कियों के लिए टॉयलेट नहीं है। 14 प्राइमरी व 5 मिडिल स्कूलों में खेल मैदान की सुविधा नहीं है।

बिजावर में क्लासरूम का संकट


बिजावर विकासखंड के 261 स्कूलों में से 256 में क्लास रूम की सुविधा नहीं है, जिसमें 6 प्राइमरी व 5 मिडिल स्कूल हैं। गल्र्स टॉयलेट की सुविधा की बात करें तो इस विकासखंड के 3 प्राइमरी व 1 मिडिल में टॉयलेट का संकट है। 50 प्राइमरी ऐसे हैं, जहां खेल मैदान नहीं है। 9 मिडिल स्कूल में भी खेल मैदान का अभाव है लवकुशनगर विकासखंड के 312 स्कूलों में से 50 प्राइमरी व 14 मिडिल में खेल मैदान नहीं है। 33 प्राइमरी व 4 मिडिल स्कूलों में लड़कियों खुले में बॉथरुम जा रही हैं। 9 प्राइमरी व 5 मिडिल स्कूलों में क्लास रुम नहीं है। 312 में से 291 स्कूलों में ही क्लास रुम की सुविधा है।

नौगांव व बड़ामलहरा के भी यही हाल


नौगांव विकासखंड के 261 स्कूलों में से 255 में क्लास रुम की कमी है। जिसमें 8 प्राइमरी व 1 मिडिल स्कूल शामिल है। वहीं 5 प्राइमरी स्कूलों में लड़कियों के लिए बाथरुम नही ंहै। 50 प्राइमरी व 11 मिडिल स्कूलों में खेल मैदान की सुविधा छात्र-छात्राओं को नहीं मिल रही है। बड़ामलहरा विकासखंड में 301 सरकारी स्कूल संचालित हैं, जिसमें केवल 294 में ही क्लास रुम की सुविधा है। 14 प्राइमरी व 3 मिडिल स्कूलों में लड़कियों के लिए टॉयलेट की सुविधा नहीं जुटाई जा सकी है। खेल मैदान के मामले में 34 प्राइमरी व 9 मिडिल स्कूलों में ये सुविधा अब तक नहीं मिल सकी है।

फैक्ट फाइल


स्कूल 2240
गल्र्स टॉयलेट 2060
बॉयज टॉयलेट 2008
पीने का पानी 1591
खेल मैदान 1351
बाउंड्रीवॉॅल 555
रैंप 947

इनका कहना है


बजट के अनुसार स्कूलों में व्यवस्थाओं में सुधार की प्रक्रिया जारी है। सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम लगातार चल रहा है। प्रयास कर रहे है कि सभी को सुविधाएं जल्द मिलें।
आरपी प्रजापति, जिला शिक्षा अधिकारी

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