सभी आठ पंचायतों में बनाने की योजना
जिले की आठ जनपद पंचायतों में 559 ग्राम पंचायतें हैं। पहले इन पंचायतों में दो से छह गांव, टोला, और मजरे होते थे, लेकिन अब इनकी संख्या बढकऱ 10 से 15 हो गई है। इसका मुख्य कारण पंचायतों की बढ़ती आबादी और संयुक्त परिवारों का स्वतंत्र इकाई के रूप में अस्तित्व में आना है, जिससे गांवों की बसाहट का दायरा तेजी से बढ़ा है। साथ ही, जिले के वन भूमि पर पिछले कुछ वर्षों में अतिक्रमण हुआ है, और यह समस्या बढ़ती जा रही है। वन विभाग अब इस भूमि पर अतिक्रमण को चिह्नित करेगा और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर इसे अतिक्रमणमुक्त कराएगा। इसके बाद, इन भूमि को संबंधित पंचायतों को सौंप दिया जाएगा और पंचायतों के माध्यम से पौधरोपण कर इसे ग्रीन बेल्ट में विकसित किया जाएगा। यह कदम जिले में हरियाली और वन क्षेत्र के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
पंचायत समितियां करेंगी निगरानी
जिला मनरेगा प्रभारी एपीओ दिनेश गुप्ता ने बताया कि जिले की आधे से ज्यादा पंचायतों के पास सरकारी भूमि उपलब्ध है, जिस पर ग्रीन बेल्ट विकसित किया जाएगा। स्थानीय पंचायतों को यह कार्य सौंपा जाएगा और पौधरोपण की निगरानी पंचायत समितियां करेंगी। इसके अलावा, जिन पंचायतों के पास खुद की भूमि नहीं है, उन पंचायतों में वीरान वन भूमि पर ग्रीन बेल्ट विकसित किया जाएगा।
पौधों की देखभाल व निगरानी की चुनौती
पिछले वर्षों में हरियाली बढ़ाने के लिए कई पंचायतों में लाखों रुपए खर्च किए गए, लेकिन पौधरोपण की निगरानी का अभाव था, जिससे कई पौधे उगने के बाद भी ठीक से विकसित नहीं हो पाए। अब इस समस्या को हल करने के लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी, और निगरानी की प्रक्रिया को सख्त किया जाएगा ताकि जिले में हरियाली को बढ़ावा मिल सके और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जा सके। इसके साथ ही, जिले में स्थानीय अफसरों द्वारा ध्यान न दिए जाने के कारण पुराने बरगद, पीपल, नीम और इमली जैसे महत्वपूर्ण पेड़ों की बलि दी गई, जिससे स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा। अब इस स्थिति में सुधार लाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
फैक्ट फाइल
विकासखंड- 08
पंचायतें- 559
गांव- 1210
आबादी-1762857
इनका कहना है
पंचायत समितियों के माध्यम से ग्रीन बेल्ट का विकास कराया जाएगा। देखभाल और निगरानी भी समितियों के जरिए होगी, ताकि ग्रीन बेल्ट सुरक्षित रहें।
दिनेश गुप्ता, प्रभारी, मनरेगा