छात्र थे टारगेट
साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या के कारण, विशेष रूप से छात्र-छात्राएं, जो सोशल मीडिया और ऑनलाइन शॉपिंग के लिए अधिक सक्रिय रहते हैं, ठगी का शिकार हो रहे थे। उन्हें इंटरनेट के माध्यम से ठगी करने वाले गिरोहों का शिकार बनाने के लिए कई प्रकार के जाल बिछाए जाते थे। इन ठगों द्वारा भेजे गए फर्जी लिंक, नकली फोन कॉल्स और धोखाधड़ी से जुड़ी अन्य गतिविधियों के कारण कई छात्र वित्तीय और मानसिक रूप से परेशान हो गए थे।
इसलिए पत्रिका ने छात्रों पर फोकस किया
इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए छतरपुर पत्रिका ने रक्षा कवच अभियान की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य साइबर सुरक्षा के बारे में छात्रों को शिक्षित करना और उन्हें इस खतरे से बचाने के लिए ठोस कदम उठाना था। अभियान के तहत छात्रों को साइबर सुरक्षा से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया जाता है, जैसे फर्जी लिंक और कॉल्स से कैसे बचें, व्यक्तिगत जानकारी को कैसे सुरक्षित रखें, और ऑनलाइन धोखाधड़ी से कैसे निपटें। अभियान के तहत, छात्र-छात्राओं को जागरूक करने के लिए विशेष कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। इन कार्यशालाओं में साइबर सुरक्षा के विशेषज्ञ छात्रों को समझाते हैं कि किस प्रकार साइबर ठग उन्हें धोखा देने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है। इसके अलावा, छात्रों को यह भी बताया जा रहा है कि यदि वे कभी साइबर अपराध का शिकार बनें तो उन्हें किस प्रकार की कार्रवाई करनी चाहिए और किसे रिपोर्ट करना चाहिए। इसके अलावा, उन्हें अपने स्मार्टफोन और कंप्यूटर पर साइबर सुरक्षा ऐप्स डाउनलोड करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि वे अपने डेटा और व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रख सकें।
अभियान का सकारात्मक पड़ रहा प्रभाव
इस अभियान के प्रभाव से यह देखने को मिला है कि छात्र अब साइबर ठगों से अधिक सतर्क और सुरक्षित महसूस करने लगे हैं। वे अब ज्यादा जागरूक हैं और अपने व्यक्तिगत डेटा को साझा करने में ज्यादा सतर्कता बरतते हैं। एक छात्रा प्रियंका यादव ने कहा, पहले मैं ऑनलाइन शॉपिंग करते समय किसी भी लिंक पर क्लिक कर देती थी, लेकिन अब मैं इस अभियान के बाद समझ गई हूं कि यह कितनी खतरनाक हो सकती है। अब मैं बहुत ध्यान से सभी चीजों का विश्लेषण करती हूं और सुनिश्चित करती हूं कि लिंक सुरक्षित है। इस अभियान से जुडऩे वाले छात्रों का मानना है कि इससे न केवल वे खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, बल्कि वे अपने परिवार और दोस्तों को भी इस तरह के खतरों से बचाने में मदद कर रहे हैं।