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छतरपुर

8वीं तक की छात्राओं को दिया जाएगा रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण

शासकीय माध्यमिक विद्यालयों में पढऩे वाली छात्राओं को रोजमर्रा में उपयोग होने वाली वस्तुओं, जैसे दुपट्टा, चेन, स्टॉल, मफलर, बैग, पेन, पेंसिल और नोटबुक से आत्मरक्षा के तरीके सिखाने पर केंद्रित होगा। इस प्रशिक्षण से छात्राओं को विपरीत परिस्थितियों में खुद को सुरक्षित रखने के तरीके सिखाए जाएंगे।

छतरपुरJan 13, 2025 / 10:38 am

Dharmendra Singh

self defence

प्रशिक्षण

छतरपुर. बालिकाओं को आत्मरक्षा के लिए सक्षम बनाने के उद्देश्य से छतरपुर जिले में पहली से आठवीं कक्षा तक की छात्राओं को रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण शासकीय माध्यमिक विद्यालयों में पढऩे वाली छात्राओं को रोजमर्रा में उपयोग होने वाली वस्तुओं, जैसे दुपट्टा, चेन, स्टॉल, मफलर, बैग, पेन, पेंसिल और नोटबुक से आत्मरक्षा के तरीके सिखाने पर केंद्रित होगा। इस प्रशिक्षण से छात्राओं को विपरीत परिस्थितियों में खुद को सुरक्षित रखने के तरीके सिखाए जाएंगे।

आत्मरक्षा के तरीके सिखाएंगे


खेल एवं युवा कल्याण विभाग के जूड़ो प्रशिक्षक शंकरलाल रैकवार ने बताया कि इस प्रशिक्षण में बालिकाओं को उनके दुपट्टे का इस्तेमाल करते हुए आत्मरक्षा के कई तरीके बताए जाएंगे। उदाहरण स्वरूप, यदि कोई व्यक्ति पीछे से हमला करता है, तो बालिकाएं अपने दुपट्टे का उपयोग कर उसे पकडक़र नीचे गिरा सकती हैं। इसके अतिरिक्त, दुपट्टे से विरोधी के लाठी के हमले से बचाव और उसे पलटकर गिराने की विधि भी सिखाई जाएगी।

महिला प्रशिक्षकों को प्राथमिकता


डीपीसी एएस पांडेय ने जानकारी दी कि 2024-25 के यू डाइस नामांकन के आधार पर 522 शासकीय स्कूलों को चिन्हांकित किया गया है, जहां 30807 बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन स्कूलों को प्रति स्कूल 15000 रुपए की राशि दी गई है। महिला प्रशिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी और अगर महिला प्रशिक्षक उपलब्ध नहीं हो पाती हैं, तो पुरुष प्रशिक्षक का चयन किया जाएगा। इसके साथ ही प्रत्येक स्कूल में एक महिला शिक्षिका की उपस्थिति अनिवार्य होगी।

तीन महीने चलेगा प्रशिक्षण


यह प्रशिक्षण तीन महीने तक चलेगा, जिसमें सप्ताह में चार दिन कक्षाएं आयोजित की जाएंगी। सभी प्रशिक्षकों का चरित्र सत्यापन पुलिस के माध्यम से किया जाएगा, और वे सेल्फ डिफेंस सर्टिफिकेशन (कराटे) में ब्लैक बेल्ट वाले होने चाहिए। इस पहल के माध्यम से जिला प्रशासन बालिकाओं को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाने के लिए दृढ़ कदम उठा रहा है।

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