बीती 28 मार्च को हुए बजट सम्मेलन में प्रस्ताव क्रमांक 4 में जलकर की आवासीय और व्यवसायिक दरों में वृद्धि थी, जिस पर भाजपा के पार्षदों ने चर्चा तक नहीं होने दी। ये प्रस्ताव निगम सचिव पढ़ नहीं पाए। इससे पहले भी भाजपा पार्षद सभी प्रस्तावों को पास कर वॉक आउट कर गए।
इस प्रस्ताव में ये लिखा था कि प्रमुख सचिव मप्र शासन के पत्र 4 जनवरी के अनुसार जल उपभोक्ता प्रभार की दरों का युक्ती-युक्तकरण तथा बिलिंग प्रक्रिया का मानकीकरण किए जाने के आदेश दिए गए है। इसके अनुसार जल प्रदाय व्यवस्था पर व्यय के आंकलन के अनुसार जलकर की गणना के आदेश दिए गए थे। जिसके अनुसार वर्तमान में जल व्यवस्था पर व्यय प्रति माह 450 रुपए प्रति व्यक्ति हो रहा है। पिछली बार 2022 में जलकर की दर आवासीय कनेक्शन 175 रुपए प्रतिमाह एंव व्यवसायिक प्रयोजन के लिए 600 रुपए प्रतिमाह निर्धारित की गई थी।
इस प्रस्ताव में यह भी लिखा है कि दिसम्बर 2021 के नियम 1 (चार) के अनुसार आवासीय इकाइयों के उपभोक्ता प्रभारों की प्रचलित दरें किसी भी वित्तीय वर्ष 15 प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ाई जाएगी। वित्तीय वर्ष 2025-26 में जलकर की घरेलू दर 260 रुपए तथा व्यवसायिक की 780 रुपए प्रतिमाह प्रस्तावित की गई है। इस प्रस्ताव में नीचे यहीं लिखा गया है कि जलकर की आवासीय दरों में 15 प्रतिशत तक की वृद्धि किया जाना है। इसके अनुसार जलकर आवासीय और व्यवसायिक कनेक्शन की दर तय की गई है।
15 प्रतिशत बढ़ते तो 26 रुपए की होती वृद्धि
जल उपभोक्ता दरों की गणना की जाए तो पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में जल उपभोक्ता प्रभार 175 रुपए था। उसमें 15 प्रतिशत निकाला जाए तो 26 रुपए निकलते हैं। इससे जल उपभोक्ता प्रभार शासन के तय नियम अनुसार 201 रुपए होना चाहिए था। नगर निगम के अधिकारियों ने 260 रुपए का जल उपभोक्ता प्रभार प्रस्तुत किया है, यह राशि 175 रुपए के हिसाब से 48 फीसदी ज्यादा है। इस तरह निगम ने शहरवासियों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है।…..
इनका कहना है…
नगरपालिक निगम के बजट सम्मेलन के प्रस्ताव में जल उपभोक्ता प्रभार में वृद्धि 15 प्रतिशत लिखी गई है। इस पर निगम अधिकारियों ने 48 प्रतिशत वृद्धि की है। इस नियम विरूद्ध कार्य पर हम जनता के बीच हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे और इसका लगातार विरोध करेंगे।-हंसा दाढ़े, नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम।
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नगर निगम की ओर से जल उपभोक्ता प्रभार में 15 प्रतिशत की जगह 48 फीसदी वृद्धि की गई है। यह आम जनता पर असहनीय है। जिसे भाजपा पार्षदों ने बिना पढ़े पास करने का दावा किया है। जबकि बजट सम्मेलन की कार्यवाही असंवैधानिक ढंग से हुई है।
-धर्मेन्द्र सोनू मागो, अध्यक्ष नगर निगम।
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राज्य शासन के 15 प्रतिशत वृद्धि के आदेश संपत्ति कर पर लागू होते है।जबकि जल पर लिया जाने वाला उपभोक्ता प्रभार एक शुल्क है। जिस पर 260 रुपए लेने का प्रस्ताव किया गया है। फिर भी निगम 190 रुपए प्रति व्यक्ति सबसिडी दे रहा है।
-सीपी राय, आयुक्त नगर निगम।