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छिंदवाड़ा

Strange: शवदाह की आधुनिक तकनीक पर धार्मिक मान्यता का फंसा पेच

– अब पूर्व पश्चिम की जगह उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर होगा भट्टी का ढांचा
– मोक्षधाम के इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की बदली जाएगी दिशा

छिंदवाड़ाJan 13, 2025 / 11:00 am

prabha shankar

cremation

मोक्षधाम में निर्माणाधीन शवदाह गृह

पातालेश्वर मोक्ष धाम में विगत तीन साल से बन रहे इलेक्ट्रिक शवदाह गृह का कार्य पूरा होने में अब धार्मिक मान्यता का पेच फंस गया है। अभी तक पूर्व-पश्चिम की दिशा के आधार पर बन रहे शवदाह गृह को उत्तर-दक्षिण दिशा के आधार पर बनाया जाएगा। इन सब कार्य में दोबारा समय लगेगा। कोरोना की दूसरी लहर में लगातार होने वाली मौतों के बाद जनभागीदारी एवं दूसरे मद से साल 2021 में शवदाह गृह बनाने का टेंडर गुजरात की कंपनी को दिया गया था। इसे अब तक बन जाना चाहिए, लेकिन अभी भी इसमें नित नए पेच फंस रहे हैं। पूर्व में मोक्षधाम में ही स्थान का पेच फंसा था, बाद में जगह बदली तो अब दिशा का मामला फंस गया है। कंपनी ने अब तक शवदाह गृह का कमरा बनाया है, जबकि दूसरी सभी व्यवस्थाएं की जानी बाकी हैं। कार्य के प्रभारी उपयंत्री गीतेश धुर्वे ने बताया कि कार्य में पहले तो विलंब बारिश के कारण हुआ और अब दिशा के बदलाव की प्रक्रिया चल रही है।

दाह संस्कार के खर्च में बचत की उम्मीद

अंतिम संस्कार करने के लिए मोक्षधाम पहुंचने पर करीब चार से पांच क्विंटल लकड़ी की जरूरत पड़ती है। कम से कम 800 रुपए क्विंटल की दर से करीब चार से पांच हजार रुपए सिर्फ लकड़ी का खर्च लग जाता है। कार्यालय अधीक्षक मोहन नागदेव ने बताया कि गरीबी रेखा के दायरे में आने वाले व्यक्ति के लिए निगम जितनी लकड़ी की व्यवस्था करता है, उसका खर्च निगम के कोष से होता है। हर दो दिन में निशुल्क लकड़ी की योजना के दायरे में एक व्यक्ति की भी मृत्यु हुई तो भी प्रत्येक माह कम से कम 60 हजार की लकड़ी का खर्च निगम वहन करता है।

इलेक्ट्रिक शवदाह गृह से होता है कम प्रदूषण

प्रदूषण विभाग के अधिकारी के अनुसार इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में शरीर में जमा नमी ही धुंआ बनकर निकलती है। इस प्रक्रिया में कोयला, लकड़ी, कंडा न होने से निश्चित ही प्रदूषण कम होगा।
इनका कहना है
गुजरात की कंपनी इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बना रही है। काफी समय बीत चुका है। आने वाले दो-तीन माह में कार्य पूरा भी हो जाएगा। इस बार काम धार्मिक मान्यता के अनुसार उत्तर दक्षिण दिशा के बदलाव के कारण अटका हुआ है। 74 लाख रुपए की लागत में ही कार्य हो जाएगा।
विवेक चौहान, सहायक यंत्री, नगर निगम

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