वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही गेहूं के दाम राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़े हुए हैं। इस समय गेहूं 33 सौ रुपए क्विंटल बाजार में उपलब्ध हो रही है, तो आटा 4000 रुपए क्विंटल पहुंच गया है। इसके आगे केंद्र सरकार का घोषित समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति क्विंटल काफी कम है। हालांकि मुख्यंत्री डॉ. मोहन यादव ने 2600 रुपए प्रति क्विंटल में गेहूं खरीदी करने की बात कही है।
फिर भी आम आदमी से लेकर अधिकारी तक असमंजस में हैं कि इस बार गेहूं की सरकारी खरीदी कैसे होगी, क्योंकि गेहूं का बाजार मूल्य समर्थन मूल्य से काफी अधिक है। फिलहाल किसानों के पंजीयन में भी समस्या आ सकती है। खाद्य विभाग की अधिकारिक जानकारी के अनुसार अब तक केवल 1845 किसानों ने पंजीयन कराया है। यह काफी कम बताया गया है। सरकार तेजी से पंजीयन चाह रही है, लेकिन प्रोत्साहन राशि कम घोषित होने से किसान रुचि नहीं ले रहे हैं।
पिछले साल भी सरकार ने दिया था बोनस
पिछले विपणन वर्ष 2023-24 में गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल था। इसकी तुलना में बाजार मूल्य ज्यादा था। इसके चलते राज्य सरकार ने 125 रुपए प्रति क्विंटल बोनस की घोषणा की थी। तब सरकारी खरीदी केंद्रों पर किसानों को 2400 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिला था। उस समय गेहूं की खरीदी कुछ हुई थी। इससे पहले वर्ष 2023 में 5708 किसानों ने 497220 क्विंटल गेहूं बेचा था।
मध्याह्न भोजन समेत दूसरी योजनाएं मुश्किल में
सरकारी स्तर पर गेहूं की खरीदी न होने पर सरकार की मध्याह्न भोजन, सांझा चूल्हा, दीनदयाल रसोई योजनाओं का संचालन मुश्किल में पड़ जाएगा, क्योंकि सरकारी कोटा से ही गेहूं की आपूर्ति इन योजनाओं में होती है। इसके अलावा स्कूल, छात्रावास और आश्रमों में भी गेहूं राशन दुकानों से ही जाता है। अधिकारियों के मुताबिक गेहूं का बाजार मूल्य हर किसी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
गेहूं की खरीदी नहीं हुई तो क्या होगा…
इस साल 2025 में गेहूं की सरकारी खरीदी नहीं हुई तो सरकारी राशन दुकानों में गेहूं का आना मुश्किल हो जाएगा। छिंदवाड़ा-पांढुर्ना जिले की 850 से अधिक राशन दुकानों में इस समय 3.72 लाख परिवार रियायती अनाज पर निर्भर है। इन्हें इस समय तीन किलो गेहूं प्रति व्यक्ति दिया जा रहा है। इससे पहले एक किलो प्रति व्यक्ति था।