सीताफल की खेती से बदल रही किसानों की तकदीर, एनएमके-1 गोल्डन किस्म की सबसे ज्यादा डिमांड
चित्तौडगढ़ सीताफल उत्कृष्टता केन्द्र में एनएमके-1 गोल्डन किस्म का पौधे के एक ही फल का वजन 700-800 ग्राम तक होता है। केन्द्र में इस वर्ष इसके 8000 पौधे तैयार किए।
सीताफल उत्कृष्टता केन्द्र की नर्सरी में नए पौधे। फोटो- पत्रिका
राजस्थान चित्तौड़गढ़ जिले में सीताफल का बगीचा किसानों के लिए लाभदायक और टिकाऊ विकल्प बनकर उभरने के कारण प्रत्येक वर्ष इसका रकबा बढ़ता जा रहा है। सीताफल के अच्छे भाव मिलने और कई चीजों में काम आने के कारण लगातार मांग भी बढ़ रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में मात्र 3-4 साल में इसका रकबा बढ़कर दो गुना हो गया है।
देश में सीताफल उत्कृष्टता केन्द्र सिर्फ चित्तौड़ में है। यहां पर देश में मिलने वाली सीताफल की किस्मों पर शोध कर अच्छी किस्में तैयार की जा रही है, जो अच्छा उत्पादन दे सके। केन्द्र पर वर्तमान में 29 किस्म के पौधे उपलब्ध है। इसमें एनएमके-ए गोल्डन किस्म तो किसानों की दशा और दिशा बदलने वाली साबित हो रही है। इसके एक फल का वजन 800 ग्राम तक होता है। आकार में बड़ा होने के कारण इसमें पल्प अच्छा निकलता है और बीज की मात्र काफी कम होती है।
किसानों की पसंद बन रहा
इसके कारण काश्तकारों में इसका क्रेज लगातार बढ़ रहा है। इसके पौधे को ज्यादा सार-संभाल की आवश्यकता नहीं होने और भाव भी 50 से 70 रुपए किलो के बीच रहने के कारण किसानों की पसंद बन रहा है। आगामी समय में इसमें और इजाफा होने की उमीद जताई जा रही है। इसी प्रकार अन्य किस्मों की अलग-अलग विशेषता है। उल्लेखनीय है कि यहां पर तैयार पौधे उदयपुर, प्रतापगढ़, कोटा, अजमेर सहित प्रदेश में कई जगह जाते हैं। साथ ही हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में यहां से पौधे गए हैं।
पल्प से तैयार होती कई चीजें
सीताफल के पल्प से कई चीजें तैयार की जाती है। इसमें सर्वाधिक आइसक्रीम तैयार होती है, जो लोगों को काफी पसंद आने लगी है। इसी के साथ सीताफल की रबड़ी, कस्टर्ड सेब मिल्क शेक, सीताफल की मिठाई और बासुंदी सहित कई चीजें तैयार की जाती है।
एक सीताफल 700-800 ग्राम का
चित्तौडगढ़ सीताफल उत्कृष्टता केन्द्र में एनएमके-1 गोल्डन किस्म का पौधे के एक ही फल का वजन 700-800 ग्राम तक होता है। केन्द्र में इस वर्ष इसके 8000 पौधे तैयार किए गए थे, इसमें से करीब 6 हजार पौधे पहले ही बुक हो चुके हैं। वर्तमान में सिर्फ दो हजार पौधे बचे हैं, यह भी जल्द बुक होने ही उमीद है। उत्कृष्टता केन्द्र में इस वर्ष विभिन्न किस्मों के 28 हजार पौधे तैयार किए थे, इसमें से अब करीब 8 हजार पौधे शेष बचे हैं।
केन्द्र में 29 प्रकार की किस्में तैयार
केन्द्र में सीताफल की किस्मों पर लगातार शोध किया जा रहा है। केन्द्र पर वर्तमान में 29 तरह की किस्में तैयार है। इसमें एनएमके एक गोल्डन, समृद्धि-दो, सिंधन, बालानगर, सरस्वती, एनएमके-2, ऑटोमाया, बीएक्स ए, जीजेसीए एक, एनोना-2, एनोना 7, एपीके-एक, लाल सीताफल, एनएमके 3, लाल सीताफल-दो, फिंगर प्रिंट्स, चंदा सीडलिंग, रायदुर्ग, वाशिंगटन जैन, अर्का सहन, पिंक मैमोथ, चांद सिली, रामफल, एनोना ग्लेब्रा, मेरी मोया, मेमोथ, समृद्धि एक, फुले पुरंदर, चित्तौड़ सलेक्शन शामिल है। यह पौधे 3-4 साल में फल लगने लग जाते हैं।
2500 मैट्रिक टन उत्पादन की उम्मीद
जिले में 2020-21 में मात्र 70 हेक्टेयर में सीताफल की पैदावार होती थी। गत साल 132 हेक्टेयर में पैदावार हुई थी व उत्पादन 2145 मैट्रिक टन था। इस बार 150 हेक्टेयर में पैदावार व उत्पादन 2500 मैट्रिक टन की उम्मीद जताई जा रही है। दीपावली तक सीताफल बाजार में आने लग जाते हैं।
विशेषता: मेवाड़ क्षेत्र में सर्वाधिक सीताफल के पौधे पाए जाते हैं। यह आसानी से उग जाता है। इसे नीलगाय भी नहीं खाती है। पानी की जरूरत भी कम होने के कारण और देखभाल की भी विशेष आवश्यकता नहीं होती है। इसमें भी रोग भी अन्य के मुकाबले कम लगते हैं।
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सीताफल का लगातार बढ़ रहा उत्पादन
सीताफल का बगीचा लगाने में किसानों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। उत्कृष्टता केन्द्र में तैयार एनएमए-1 गोल्डन में सर्वाधिक पल्प होने के कारण किसानों को पसंद आ रहा है। इससे 700 से 800 ग्राम तक सीताफल का वजन और बीज भी नाममात्र के होते हैं। यहां पर तैयार पौधे प्रदेश में कई जगह जाते हैं।
– डॉ. शंकर लाल जाट, उपनिदेशक अनुसंधान सीताफल उत्कृष्टता केन्द्र चित्तौडगढ़
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