Rana Sanga Controversy: राणा सांगा विवाद पर गरजे CM भजनलाल, कहा- सूर्य को कलंकित नहीं किया जा सकता
चित्तौड़गढ़ में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि अराजक तत्वों द्वारा दिए गए बयान न केवल राणा सांगा का अपमान है, बल्कि उन सभी योद्धाओं का अपमान है, जिन्होंने सनातन धर्म और इस धरती की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राणा सांगा के जीवन को स्वतंत्रता, साहस और बलिदान का प्रतीक बताते हुए कहा है कि पूरी दुनिया मेवाड़ के वीरों से प्रेरणा लेती है, लेकिन इस देश में कुछ ऐसे अराजक तत्व हैं जो अपने वीरों पर अंगुली उठाते हैं। वे भूल जाते हैं कि सूर्य को कलंकित नहीं किया जा सकता। शर्मा मंगलवार को चित्तौड़गढ़ में जौहर स्मृति संस्थान द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि राणा सांगा एक ऐसे योद्धा थे, जिन्होंने अपनी मातृभूमि और सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। राणा सांगा का जीवन स्वतंत्रता, साहस और बलिदान का प्रतीक है। उन्होंने न केवल मेवाड़ की रक्षा की, बल्कि समस्त भारतवर्ष की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अराजक तत्वों द्वारा दिए गए बयान न केवल राणा सांगा का अपमान है, बल्कि उन सभी योद्धाओं का अपमान है, जिन्होंने सनातन धर्म और इस धरती की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। ऐसे लोगों को अपनी मानसिकता के लिए पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।
सांसद ने की थी टिप्पणी
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने शनिवार को राज्यसभा में राणा सांगा को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि ‘मैं जानना चाहूंगा कि बाबर को आखिर कौन लाया? इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा लाया था। तुम लोग उस गद्दार राणा सांगा की औलाद हो, ये हिन्दुस्तान में तय हो जाना चाहिए कि बाबर की आलोचना करते हो, लेकिन राणा सांगा की आलोचना नहीं करते। सांसद के इस बयान के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है।
चित्तौड़गढ़ की धरती शक्ति, भक्ति, त्याग और तपस्या की तपोभूमि
उन्होंने कहा कि वीर-वीरांगनाओं का बलिदान हमें सिखाता है कि स्वतंत्रता और सम्मान से बढ़कर कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ की धरती शक्ति, भक्ति, त्याग और तपस्या की तपोभूमि है। यहां कण-कण में वीरता की गाथाएं, पत्थर-पत्थर में इतिहास और कंकर-कंकर में बलिदान की प्रचंड आग धधक रही है।
उन्होंने कहा कि आज हम यहां केवल श्रद्धांजलि देने नहीं आए हैं बल्कि शौर्य और त्याग की भावना को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेने आए हैं। उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ दुर्ग राष्ट्रीय अस्मिता और सनातन संस्कृति का प्रतीक है। यह वह पवित्र भूमि है जहां क्षत्रिय वीर मर मिटने का अपना सौभाग्य मानते थे। मेवाड़ के राज्य चिह्न में भी आदिवासी प्रतिनिधि का चित्र सामाजिक समरसता को दर्शाता है।
ऐतिहासिक वैभव को संरक्षित करने का काम कर रही है सरकार
शर्मा ने कहा कि हमारी सरकार प्रदेश के ऐतिहासिक वैभव को संरक्षित करने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ संग्रहालय के उन्नयन के साथ महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट को भी धरातल पर उतारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सीतामाता अभयारण्य, ऋषभदेव, गौतमेश्वर मंदिर, मातृ कुण्डिया सहित विभिन्न पर्यटक स्थलों को शामिल करते हुए 100 करोड़ रुपए व्यय कर ट्राइबल टूरिस्ट सर्किट विकसित किया जा रहा है।
यह वीडियो भी देखें साथ ही चित्तौड़गढ़ में संचालित लाइट एंड साउण्ड शो का उन्नयन, छतरंग मोरी-चित्तौड़गढ़ में रोपवे सुविधा देना, 7100 करोड़ रूपये की लागत से चित्तौड़गढ़ एवं भीलवाड़ा के बांधों को भरने सम्बन्धी कार्य किए जा रहे हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जौहर साका स्मारिका का विमोचन तथा प्रतिभाओं को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
समारोह में उद्योग मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, सहकारिता राज्यमंत्री गौतम दक, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री डॉ. मंजू बाघमार, विधायक श्रीचंद कृपलानी, सुरेंद्र सिंह राठौड़, चंद्रभान सिंह आक्या, अर्जुन जीनगर, श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज, जौहर स्मृति संस्थान अध्यक्ष रावत नरेंद्र सिंह सहित बड़ी संख्या में आमजन मौजूद थे।