प्रदर्शन के आधार पर टीम चुनने की सलाह
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह भी इस हार से निराश नजर आए और उन्होंने सेलेक्शन पर सवाल उठाए। भज्जी ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा कि टीम का सेलेक्शन प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए। भज्जी ने पूरे सीरीज में बल्लेबाजों के प्रदर्शन का काला चिठ्टा खोल दिया। उन्होंने कहा, “विराट कोहली हों या रोहित शर्मा, टीम का सेलेक्शन प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए।” बता दें कि रोहित शर्मा ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2024-24 के तीन मैचों में हिस्सा लिया और 31 रन बनाए। विराट कोहली का हाल भी ज्यादा अच्छा नहीं रहा। पहले टेस्ट के शतक को छोड़ दें तो वह सिर्फ 85 रन बनाए। पहले टेस्ट की पहली पारी में कोहली ने 5 और दूसरी पारी में नाबाद 100 रन बनाए थे। भारत के लिए सबसे ज्यादा रन यशस्वी जायसवान ने बनाए थे। उन्होंने 5 टेस्ट की 10 पारियों में 43 की औसत से 391 रन बनाए। जायसवाल सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में दूसरे स्थान पर रहे। भारत के लिए दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज नीतीश कुमार रेड्डी थे, जो इस सीरीज में एक ऑलराउंडर की हैसियत से खेल रहे थे और मेलबर्न में शतक जड़कर भारत को हार से भी बचाया था। रेड्डी ने 298 रन बनाए तो केएल राहुल ने 30 की औसत से 276 रन बनाए। ऋषभ पंत के बल्ले से 255 रन निकले। ऐसे में समझा जा सकता है कि इस सीरीज में किस कदर भारतीय बल्लेबाजों ने निराश किया।
टीम इंडिया की चैंपियंस ट्रॉफी अगली चुनौती
अब टीम इंडिया के लिए अगली बड़ी चुनौती चैंपियंस ट्रॉफी है। उससे पहले हरभजन सिंह ने चयनकर्ताओं को सलाह दी है कि टीम का सेलेक्शन प्रदर्शन के आधार पर रहें न की स्टारडम के नाम पर। गौतम गंभीर के हेड कोच बनने के बाद टीम इंडिया का वनडे में प्रदर्शन भी खराब रहा है। उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ सीरीज गंवा दी थी। चैंपियंस ट्रॉफी से पहले टीम इंडिया को सिर्फ 3 वनडे मैच खेलने हैं, जहां उनका मुकाबला इंग्लैंड से होगा। ऑउट ऑफ फॉर्म खिलाड़ियों के लिए यह टूर्नामेंट खुद को साबित करने का आखिरी मौका हो सकता है। इसके बाद अगर वे रिटायर नहीं होते तो उन्हें बाहर किया जा सकता है।