आईपीएल 2019 के बाद से राहुल का स्ट्राइक रेट कभी भी 138.8 से ऊपर नहीं गया था। कुछ सीज़न में तो यह और भी कम रहा—जैसे 2020 में 129.34 और 2023 में मात्र 113.22। इसके बावजूद उन्होंने 2023 को छोड़कर हर सीज़न में 520 से 670 रन बनाए हैं। 2023 में उन्होंने केवल नौ मैच खेले थे। लखनऊ सुपर जायंट्स में कप्तानी छोड़ने और दिल्ली कैपिटल्स में सिर्फ एक खिलाड़ी की भूमिका निभाने से उन्हें खेलने की आज़ादी मिली है।
आईपीएल में जीत के बाद आईपीएलटी20 डॉट कॉम पर अपनी टीम के मेंटॉर केविन पीटरसन से बातचीत में राहुल ने कहा,
“मैंने पिछले एक साल में अपने सफेद गेंद के खेल पर कड़ी मेहनत की है। इसके लिए मैं अभिषेक नायर का विशेष धन्यवाद करता हूं। जब से वह भारतीय टीम के साथ जुड़े हैं, मैंने उनके साथ घंटों काम किया है। हमने मुंबई में साथ में समय बिताया और यह समझने की कोशिश की कि मैं अपने सफेद गेंद के खेल को कैसे बेहतर बना सकता हूं। अब मुझे इस फॉर्मेट में खेलने में मज़ा आने लगा है।”
राहुल की इस नई सोच की झलक हाल ही में आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी में भी देखने को मिली, जिसे भारत ने जीता। उन्हें विकेटकीपर और फिनिशर की भूमिका में चुना गया और उन्होंने चार में से तीन पारियों में नाबाद रहते हुए 97.90 के स्ट्राइक रेट से 140 रन बनाए। इन रनों में पाँच चौके और पाँच छक्के शामिल थे।
आईपीएल 2025 में अब तक वह आठ चौके और चार छक्के लगा चुके हैं। अगर उनका यह आक्रामक अंदाज़ बरकरार रहता है, तो वह पिछले सीजन में लगाए गए 45 चौकों और 19 छक्कों के आंकड़े को पार कर सकते हैं। यह वही सीजन था जिसके अंत में एलएसजी के मालिक संजीव गोयनका के साथ उनकी चर्चित और सार्वजनिक बातचीत हुई थी। गोयनका ने बाद में कहा था कि वह केवल उन खिलाड़ियों को रखना चाहते हैं जिनमें “जीतने की मानसिकता” हो। राहुल को टीम से रिलीज़ कर दिया गया था। इसके बाद राहुल ने कहा था कि वह एक ऐसी टीम चाहते हैं जो उन्हें “प्यार, देखभाल और सम्मान” दे सके, और वह “एक नई शुरुआत” करना चाहते हैं।
एक समय “स्ट्राइक रेट को ज़रूरत से ज़्यादा तवज्जो दी जाती है” कहने पर आलोचना झेल चुके राहुल ने अब अपने रवैये में बदलाव लाया है। पीटरसन से बातचीत में उन्होंने कहा,
“मुझे लगता है कि मैं बाउंड्री और छक्के लगाने का मजा कहीं खो बैठा था। मैं खेल को बहुत आगे तक ले जाना चाहता था और यह सोच मेरे दिमाग में घर कर गई थी। लेकिन अब मुझे एहसास हुआ है कि मुझे अपने पुराने अंदाज़ में लौटना होगा। क्रिकेट बदल चुका है और टी20 क्रिकेट तो अब बाउंड्री मारने का खेल बन चुका है। जो टीम ज्यादा चौके और छक्के लगाती है, वही जीतती है।”
राहुल ने आगे कहा, “अब मैं अपने क्रिकेट का पूरा आनंद ले रहा हूं। मैं मैच को खींचने या ज़्यादा रणनीति बनाने के बारे में नहीं सोचता। बस गेंद को देखता हूं, आक्रामक रहने की कोशिश करता हूं, गेंदबाज और विपक्षी टीम पर दबाव बनाता हूं, और बाउंड्री लगाने का लुत्फ उठाता हूं।”