चेन्नई की उम्मीदें काफी कम
चलिए ऐसी ही टीमों पर नजर डालते हैं, जिनकी प्लेऑफ्स में पहुंचने की उम्मीद काफी कम है। इस लिस्ट में पहले ही स्थान पर चेन्नई सुपर किंग्स है, जिसने 6 मैच खेले हैं और 5 मैच हार गई है। टीम को अब सिर्फ 8 मैच खेलने हैं और अगले दौर में जगह पक्की कर ने के लिए कम से कम 7 मैच और जीतने होंगे। ऐसे में अगर बचे हुए 8 में से 2 मैच और हार गई तो चेन्नई की टीम प्लेऑफ की रेस से बाहर हो जाएगी। पिछले सीजन की उपविजेता सनराइजर्स हैदराबाद के बल्लेबाजों ने इस सीजन 2 बार कमाल का प्रदर्शन किया है और दोनों मैचों में टीम को जीत मिली है। हालांकि 4 मैचों में वे फ्लॉप रहे हैं और 4 मैच ही सनराइजर्स अब तक हार चुकी है। कुल मिलकर एसआरएच ने 6 में से 4 मैच गंवाए हैं और उन्हें अगले दौर में जाने के लिए 6 मैच कम से कम जीतने होंगे और बचे हैं 8 मैच। ऐसे में अगर वे 3 या उससे ज्यादा मैच हार जाते हैं तो उनका भी प्लेऑफ की रेस से पत्ता कट जाएगा।
मुंबई इंडियंस इस समय अंक तालिका में 7वें स्थान पर है लेकिन उन्होंने अब तक 6 में से सिर्फ 2 मैच ही जीते हैं। उनके पास अब और 8 मैच हैं और कम से कम 6 मैच जीतेंगे तो ही प्लेऑफ की उम्मीदें जिंदा रहेंगी। राजस्थान रॉयल्स की भी हालत कुछ मुंबई जैसी ही है। रॉयल्स ने भी 6 में से सिर्फ 2 मैचों में जीत हासिल की है। उन्हें भी प्लेऑफ की उम्मीदों को जिंदा रखने के लिए बचे हुए 8 में से 6 मैच जीतने होंगे।
दिल्ली कैपिटल्स सबसे बड़ी दावेदार
अगर प्लेऑफ में पहुंचने वाली सबसे बड़ी 4 दावेदारों की बात करें तो गुजरात टाइटंस पहले स्थान पर है। टीम को 8 मैच खेलने हैं और प्लेऑफ का टिकट हासिल करने के लिए बचे हुए 8 में से 5 मैच जीतने हैं। दिलली कैपिटल्स भी सबसे बड़ी दावेदार है और उन्हेंन बचे हुए 9 में से 5 मैच जीतने हैं। आरसीबी को भी बचे हुए 8 में से 5 मैच जीतने हैं तो लखनऊ को भी 8 में से 5 मैच जीतने हैं। आज तक 9 मैच जीतकर कोई भी टीम प्लेऑफ की रेस से बाहर नहीं हुई है। ऐसे में 9 जीत मतलब प्लेऑफ का टिकट कंफर्म।