दौसा। बांदीकुई-जयपुर एक्सप्रेस वे रिंग रोड पर कट निकालकर गावों को जोड़ने की मांग को लेकर चल रहा ग्रामीणों का धरना सोमवार को समाप्त हो गया है। दरअसल, दौसा जिले में श्यामसिंहपुरा-द्वारापुरा के बीच पुलिया के पास चल रहे धरने पर बैठे कैलाश शर्मा (65) निवासी द्वारापुरा की रविवार शाम को अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। जिसे बांदीकुई चिकित्सालय ले जाया गया। जहां से उसे जयपुर रेफर कर दिया। जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद रात करीब 10 बजे ग्रामीण शव को धरना स्थल ले गए।
सूचना पर उपखंड अधिकारी रामसिंह राजावत एवं पुलिस वृताधिकारी रोहिताश देवदा मौके पर पहुंचे। पुलिस प्रशासन ने ग्रामीणों से समझाइश की। लेकिन, ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ नारे लगाकर विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने शव को सुरक्षित रखने के लिए चारों ओर बर्फ लगाई और धरने पर बैठे रहे। ग्रामीणों ने कहा की ज़ब तक हाइवे से कनेक्टिविटी जोड़ने सहित 11 सूत्रीय मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
विधायक और सांसद मौके पर पहुंचे
विधायक भागचंद टांकड़ा सोमवार सुबह धरना स्थल पर पहुंचे। वहीं, सांसद मुरारी लाल मीणा और पूर्व विधायक जीआर खटाना भी मौके पर पहुंचे। नेताओं ने ग्रामीणों से संवाद कर मांगों के समाधान का भरोसा दिलाया था। साथ ही ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि इंटरकट को लेकर केंद्रीय स्तर पर वार्ता करेंगे। इसके बाद ग्रामीणों ने धरना समाप्त किया। धरना समाप्त होने के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।
करीब 15 घंटे तक शव को लेकर धरने पर बैठे ग्रामीण
बांदीकुई-जयपुर एक्सप्रेस वे रिंग रोड पर कट की मांग को लेकर धरना दे रहे ग्रामीण करीब 15 घंटे तक शव को लेकर बैठे रहे। शव को बर्फ की सिल्लियों के बीच रखा गया था। परिजन रात 10 बजे शव को जयपुर से लेकर धरना स्थल पर पहुंचे। वे सोमवार दोपहर करीब 1 बजे तक शव को लेकर धरने पर बैठे रहे। हालांकि, नेताओं की समझाइश के बाद धरना समाप्त हुआ।
ग्रामीणों ने बताया कि बांदीकुई से जयपुर रिंग रोड को दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस से जोड़ने के लिए ग्राम श्यामसिंहपुरा से बगराना के लिए एक नया हाइवे एनएच फोर सी का निर्माण किया गया है। उन्होंने बताया कि पहले तो एक्सप्रेस वे में आसपास के कई गावों की अधिकांश जमीन अधिग्रहण की गई। इसके बाद अब जो शेष बची हुई है, वह भी अब इस नए हाइवे मे चली गई। जिसका मुआवजा भी कोड़ियों के भाव मिला है। किसानों के पास आमदनी का एक मात्र स्त्रोत कृषि है। अब वह भी नहीं बची है।