वेदों में है बिंदी का जिक्र
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विवाहित महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार बताए गए हैं। जिसमें में माथे पर बिंदी लगाना सबसे प्रमुख और सौंदर्यपूर्ण माना जाता है। यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है और इसका उल्लेख प्राचीन वैदिक साहित्य में भी मिलता है। जिसका संबंध माता लक्ष्मी से होता है। वहीं ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक लाल रंग को मंगल ग्रह का कारक माना जाता है। मान्यता है कि जो महिलाएं लाल रंग की बिंदी लगाती हैं उनके दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है। साथ ही मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र
धार्मिक ग्रंथों में माथे के स्थान को आज्ञा चक्र के नाम से भी जाना जाता है। यह मनुष्य की मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र होता है। मान्यात है कि माथे पर बिंदी लगाने से यह चक्र सक्रिय और संतुलित रहता है।
सौभाग्य का प्रतीक
महिलाओं के माथे पर लगी बिंदी सौभाग्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। विवाहित महिलाएं इसे अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए लगाती हैं।
बिंदी देवी का प्रतीक
लाल बिंदी को देवी दुर्गा और लक्ष्मी की शक्ति का प्रतीक माना गया है, जो महिलाए अपने माथे पर लाल रंग की बिंदी लगाती हैं। उनके ऊपर मां दर्गा और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद होता है। ऐसी महिलाओं के जीवन में कभी कोई भारी संकट नहीं आता। क्योंकि देवी उनको बुरी शक्तियों से बचाती हैं। साथ ही माथे की बिंदी नारीत्व, शक्ति और आध्यात्मिकता को दर्शाती है।
सांस्कृतिक महत्व
बिंदी भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाती है बल्कि सौंदर्य बढ़ाने और पारंपरिक परिधानों के साथ सामंजस्य बनाने के लिए भी पहनी जाती है। बिंदी लगाने की यह परंपरा आज भी भारतीय महिलाओं की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है, जो धार्मिकता और सांस्कृतिक गौरव को दर्शाती है। डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।