विश्वामित्र के शिष्य गालव
गालव ऋषि महर्षि विश्वामित्र के शिष्य थे- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक बार अपने गुरु विश्वामित्र को ऋषि गालव ने गुरु-दक्षिणा के रूप में 800 सफेद अश्व देने का वचन दिया था। मान्यता है कि ऋषि गालव ने करीब साठ हजार वर्ष तक कोठर तपस्या किया। इसके बाद उन्होंने अपने गुरु को श्मामकर्णी अश्व देकर अपना वचन पूरा किया था। गालव ऋषि तपस्वी और ज्ञानी थे- धार्मिक मान्यता है कि गालव कठोर तपस्वी के साथ-साथ वेदों और धर्मशास्त्रो के ज्ञाता थे। वे अपनी सत्यनिष्ठा और तप के लिए विख्यात थे। उनके तप से देवता और ऋषि प्रभावित होते थे।
गलता जी मंदिर से गालव ऋषि का संबंध
जयपुर में गलताजी का प्रसिद्ध मंदिर है। जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। धार्मिक मान्यता है कि यह महान ऋषि गलताजी की तपोभूमि है। यहां पर गालव ऋषि ने कठोर तप किया था। इसके बाद से इसको गलताजी मंदिर के नाम से जाना गया। यह राजस्थान के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।
भक्त पवित्र कुंड में लगाते हैं डूबकी
इस मंदिर के पास आपको कई मंदिर देखने को मिलेंगे, जो राजस्थान की धार्मिक आस्था और संस्कृति को दर्शाते हैं। यह विशाल मंदिर अरावली की ऊंची पहाडियों पर बना हुआ है। इस मंदिर से जुड़ा एक पवित्र कुंड है जहां लोग अपनी मनोकामना के साथ पवित्र डुबकी लगाने आते हैं। मंदिर जुड़े हुए लोग भक्ति कार्यक्रम, भक्ति संगीत, और कई अन्य पवित्र कार्यक्रमों का आनंद लेने के लिए आते रहते हैं। इस मंदिर में भारी संख्या में बंदर रहते हैं, जो अपनी अधिक संख्या की वजह से चर्चा में रहते हैं।