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Ramadan 2025: कब से शुरू होगा रमजान का महीना, जानिए नियम और परंपराएं

Ramadan 2025: रमजान के दौरान रोज़ा रखने से आत्म-नियंत्रण और अल्लाह के प्रति समर्पण को दर्शाता है। रोजा रखने की पूरी प्रक्रिया चांद के दिखने पर निर्भर करती है।

जयपुरJan 29, 2025 / 08:14 am

Sachin Kumar

Ramadan 2025

रमजान 2025

Ramadan 2025: इस्लाम धर्म में रमजान महीने में का विशेष महत्व है। इसे रहमत और बरकत का महीना कहा जाता है। रमजान के दौरान इस्लाम धर्म के लोग रोजा का पालन करते हैं। यह महीना मुस्लिम समुदाय के लिए अल्लाह की इबादत और समाज के परोपकार का प्रतीक है। आइए जानते हैं कब से शुरु होगा रमजान का महीना और किस दिन से रखे जाएंगे रोजा?

रमजान की शुरुआत

इस्लामी कैलेंडर हिजरी चंद्र कैलेंडर पर आधारित होता है। जो चंद्रमा के चक्र के अनुसार चलता है। इस वजह से रमजान की तिथि हर साल बदलती रहती है। इस साल 2025 में 01 मार्च से शुरू होकर 30 मार्च को संपन्न होंगे। रमजान के दौरान कुरान पढ़ना बहुत शुभ माना जाता है। पहला रोज़ा चांद के दर्शन पर आधारित होगा।
रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग हर दिन रोजा (उपवास) रहते हैं और सूरज ढलने के बाद इफ्तार (उपवास तोड़ने का समय) के साथ उपवास समाप्त करते हैं। रमजान का महीना 29 या 30 दिनों का होता है, जो चांद के आकार पर निर्भर करता है। यह हिजरी कैलेंडर का नौवां महीना होता है।

रमज़ान के नियम

रोज़ा रखना: सूरज निकलने से पहले (सहरी) और सूरज डूबने (इफ्तार) तक बिना खाना, पानी, और अन्य सांसारिक सुखों से दूर रहना। रोज़ा केवल शारीरिक संयम नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धता का भी प्रतीक है।
पांच वक्त की नमाज़: रमज़ान के दौरान पांच वक्त की नमाज़ को और अधिक ध्यानपूर्वक अदा किया जाता है।

तरावीह की नमाज़: रमज़ान के दौरान रात में विशेष नमाज़ पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं। इसमें कुरान शरीफ का पाठ किया जाता है।
कुरान शरीफ की तिलावत: इस्लामिक ग्रंथ कुरान शरीफ का अध्ययन और तिलावत (पाठ) रमज़ान में अधिक किया जाता है।

जकात और सदक़ा (दान-पुण्य): जरूरतमंदों और गरीबों की मदद करना रमज़ान के दौरान अनिवार्य माना जाता है। यह जकात (आय का एक निश्चित हिस्सा) और सदक़ा के रूप में दिया जाता है।
रोज़ा तोड़ने से बचें: झूठ बोलना, गुस्सा करना, गलत काम करना या किसी का दिल दुखाना रोज़े को कमजोर करता है

बीमार और बुजुर्ग: यदि कोई बीमार है, सफर में है या गर्भवती है, तो उन्हें रोज़ा रखने से छूट दी गई है। लेकिन बाद में इसे पूरा करना चाहिए।

रमजान की परंपराएं

सहरी: सूरज उगने से पहले हल्का खाना खाकर रोज़े की शुरुआत की जाती है।

इफ्तार: सूरज डूबने के बाद रोज़ा खोलने के लिए इफ्तार किया जाता है, जिसमें खजूर और पानी का विशेष महत्व है।
रमज़ान की रातों का महत्व: रमज़ान की आखिरी 10 रातें विशेष मानी जाती हैं। इनमें शब-ए-क़द्र (महान रात) शामिल है, जो इबादत का सबसे पवित्र समय होता है।

ईद-उल-फितर की तैयारी: रमज़ान के अंत में ईद-उल-फितर मनाई जाती है, जिसमें विशेष नमाज़ पढ़ी जाती है और मिठाई बांटी जाती है।
सामूहिक इफ्तार: परिवार, दोस्तों, और समुदाय के साथ मिलकर सामूहिक इफ्तार करना एक परंपरा है।

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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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