धौलपुर. आज के महंगाई के दौर प्रतिदिन कार्य का मानदेय 71 रुपए मिले तो इस मानदेय से घर खर्च चलाना मुश्किल ही होगा। जिले सहित प्रदेश के हजारों कुक कम हेल्पर के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। जिन्हें मिड डे मील बनाने के एवज में प्रतिमाह 2143 रुपए का मानदेय मिलता है। जो शायद किसी भी कार्य के बदले मिलने वाले मानदेय से बेहद कम ही है। इस कारण जिले के कुक कम हेल्परों का इस काम के प्रति रुझान कम होता जा रहा है।
राजकीय स्कूलों में बच्चों के रुझान को बढ़ाने पहली कक्षा से 8वीं तक के छात्रों को मिड डे मील दिया जाता है। इस भोजन को बनाने के लिए स्कूलों में कुक कम हेल्पर नियुक्त किए गए हैं। स्कूलों में50 छात्रों पर एक कुक कम हेल्पर की नियुक्ति की जाती है। सरकार इनको प्रतिमाह मानदेय के रूप में 2143 रुपए देती है, यानी प्रतिदिन के हिसाब से 71 रुपए। यह राशि इन लोगों के परिवार के भरण पोषण के लिए नाकाफी साबित हो रहे हैं। जिस कारण यह लोग गई बार सरकार से अपने मानदेय को बढ़ाने की मांग कर चुके हैं। इन कुक कम हेल्परों का कहना है कि सरकार हमको मजदूरी से भी कम रुपए दे रही है। हम लोग इस कार्य को करने में चार से पांच घंटे देते हैं। कम कुक कम हेल्पर का काम प्रतिदिन बच्चों के लिए मिड डे मील मैन्यू के अनुसार पोषाहार तैयार करना होता है। बच्चों के तादाद के अनुसार उक्त पोषाहार बनता है। ऐसा नहीं है कि इनका काम केवल यहीं तक सीमित है यह खाना बनाने के बाद बच्चों को परोस कर बर्तन साफ करने तक का काम यह कर रहे हैं। लेकिन अपने कम मानदेय के कारण इस काम के प्रति अब इनका उत्साह कम होता जा रहा है।
अवकाश के दिनों में रहते हैं बेरोजगार कुक कम हेल्परों ने बताया कि हमकों खाना बनाने के लिए सुबह ही स्कूलों में आना पड़ता है। इनमें से कई महिला हेल्पर तो ऐसी हैं जो खाना बनाने के अलावा स्कूलों के अन्य कार्य भी करती हैं। हेल्परों ने बताया कि हमारा इतना कम मानदेय होने के बावजूद भी सरकार हमको अवकाश के दिनों का भी मानदेय नहीं देती। स्कूलों में गर्मियों के दिनों में होने वाली छुट्टियों के दौरान शिक्षक से लेकर स्कूल से संबंधित सभी को मानदेय दिया जाता है लेकिन इन दो माह हम बेरोजगार रहते हैं।
मनरेगा से भी कम मिलता मानदेय राजकीय स्कूलों में खाना बनाने वाले कुक कम हेल्परों को प्रतिदिन के हिसाब से 71 रुपए मानदेय दिया जाता है। जो कि किसी भी क्षेत्र के कार्य में मिलने वाले मानदेय से ही है। मजदूरी की मानदेय से लेकर मनरेगा में कार्य करने वालों तक को 100 दिन रोजगार के तहत 266 रुपए प्रति हाजिरी (काम के अनुसार) मानदेय मिलता है।
बजट में मानदेय बढ़ाने की घोषणा जिले के राजकीय स्कूलों में कुक कम हेल्परों की संख्या २ हजार437 है। जिन्हें वर्तमान में 2143 रुपए प्रतिमाह मानदेय मिल रहा है। हालांकि राज्य सरकार ने पिछले वर्ष1 अपे्रल से इनके मानदेय में दस फीसदी की बढ़ोत्तरी की थी। तब इनको 2003रुपए प्रति मानेदय मिलता है। तो वहीं अभी हाल ही में राजस्थान के बजट घोषणा में भी इन कुक कम हेल्परों के मानदेय में दस प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की गई है, लेकिन अभी राज्य शासन ने इसके आदेश जारी नहीं किए हैं।