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धौलपुर

बीहड़ों की सांसों में बाघों की दहाड़: धौलपुर की नवगाथा

15 अप्रेल 1982 को राजस्थान के नक्शे पर एक नया जिला उभरा धौलपुर। कभी दस्युओं के लिए कुख्यात, बीहड़ों की तपती रेत में खौफ की कहानियां गूंजती थीं। मगर आज, 43 वर्षों के सफर में धौलपुर ने अपनी पहचान बदल डाली है। अब यह जिला विकास, पर्यटन, नवाचार, उद्यम और वन्यजीव संरक्षण की नई इबारतें लिख रहा है।

धौलपुरApr 15, 2025 / 06:29 pm

Naresh

बीहड़ों की सांसों में बाघों की दहाड़: धौलपुर की नवगाथा Roar of tigers in the breath of ravines: New story of Dholpur

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– धौलपुर की धूल से उम्मीदों की नई कहानी

– प्रदेश का 27वां जिला अब पेश कर रहा विकास की नई तस्वीर- धौलपुर स्थापना दिवस विशेष

धौलपुर. 15 अप्रेल 1982 को राजस्थान के नक्शे पर एक नया जिला उभरा धौलपुर। कभी दस्युओं के लिए कुख्यात, बीहड़ों की तपती रेत में खौफ की कहानियां गूंजती थीं। मगर आज, 43 वर्षों के सफर में धौलपुर ने अपनी पहचान बदल डाली है। अब यह जिला विकास, पर्यटन, नवाचार, उद्यम और वन्यजीव संरक्षण की नई इबारतें लिख रहा है। बीहड़ अब बोटिंग, फिल्म शूटिंग और जंगल सफारी के केंद्र बन चुके हैं। और हाल ही में घोषित धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व ने इसे बागियों की नहीं, बाघों की धरती बना दिया है। बीते वर्षोंं में धौलपुर खुद को हर रोज एक नई शक्ल में ढाल रहा है। राजस्थान के पूर्वी छोर पर बसे जिले ने बीते कुछ वर्षों में जिस तेजी से बदलाव की इबारत लिखी है।आज जब धौलपुर स्थापना दिवस मनाया जा रहा है, तब यह जिला महज एक भौगोलिक इकाई नहीं बल्कि संभावनाओं, परिवर्तनों और नवाचार का जीवंत उदाहरण बन चुका है। बीहड़ों की भूल भुलैया, बागियों की बंदूकें और अन्य कहानियों को पीछे छोड़ते हुए यह भूमि अब बाघों की दहाड़ को पर्यटन के अवसर के रूप में भुनाते हुए विकास के मार्ग पर अग्रसर होने जा रही है।
बीहड़ों की भव्यता अब पर्यटन की नई परिभाषा

चंबल के किनारे फैले धौलपुर के बीहड़ जो कभी डकैतों की पनाहगाह थे, आज बॉलीवुड के कैमरों और पर्यटकों के कदमों से गुलजार हैं। यह वही भूमि है, जहां बैंडिट क्वीन, पान सिंह तोमर, सोन चिरैया और हालिया वेब सीरीज इंस्पेक्टर अविनाश की शूटिंग हुई। पर्यटक चंबल रिवर बोटिंग का आनंद लेते हैं, स्थानीय लोग उन्हें लोककथाएँ सुनाते हैं और कैमरे इन अनदेखी खूबसूरत घाटियों को कैद करते हैं। राजघाट, जैसे इलाकों में अब ‘बीहड़ सफारी’ और ‘ईको ट्रेकिंग’ जैसे साहसिक पर्यटन कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं। बीहड़ों की रहस्यमयी भौगोलिक बनावट और वहां के जीव-जंतु अब आकर्षण का केंद्र बन गए हैं।
देश का 54वां बाघ रिजर्व: टाइगर टेरिटरी बुला रही मेहमान

धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व को हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से मान्यता मिली है, जिससे यह भारत का 54वां और राजस्थान का पांचवां टाइगर रिजर्व बन गया है। कुल 757.01 वर्ग किलोमीटर में फैले इस रिजर्व में 108 गांव (60 धौलपुर व 48 करौली) शामिल हैं। यह इलाका बाघों की प्राकृतिक आवाजाही के लिए आदर्श माना जा रहा है। यह न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए वरदान बन रहा है, बल्कि क्षेत्रीय पर्यटन और रोजगार सृजन का भी नया केंद्र बनता जा रहा है।
युवाओं को रोजगार मिलेगा।तीन दफा शीर्ष पर रहा धौलपुर

नीति आयोग की ‘बेस्ट प्रैक्टिस’ विज्ञान संग्रहालय से लेकर आकांक्षी जिला तकधौलपुर तीन बार नीति आयोग के ‘आकांक्षी जिलों’ की रैंकिंग में शीर्ष पर रह चुका है। इसके लिए जिला प्रशासन को अब तक 22 करोड़ रुपए से अधिक की प्रोत्साहन राशि प्राप्त हुई है। यही नहीं, ‘बेस्ट प्रैक्टिस’ के रूप में नीति आयोग की मदद से यहां अत्याधुनिक ‘साइंस म्यूजियम’ की स्थापना की गई है। एपीआरओ रोहित मित्तल ने बताया कि जिले ने वित्तीय समावेशन और कौशल विकास में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर देशभर में एक मिसाल कायम की है। इस प्रदर्शन के लिए जिले को 3 करोड़ रुपए की पुरस्कार राशि मिली है।
जहां पत्थरों में बसी है विरासत

धौलपुर का अतीत जितना रोचक है, उतना ही गौरवशाली भी। लाल बलुआ पत्थर के लिए विश्व प्रसिद्ध इस नगर की वास्तुकला में विरासत आज भी जीवित है। देश में कई ऐतिहासिक इमारते धौलपुर के रेड स्टोन से बनी हैं। शेरगढ़ किला, मचकुंड, मंदिर, निहाल टावर, शाही बावड़ी जैसे स्थल आज भी इतिहास के पन्नों को जीवंत करते हैं। उधर, अमृत योजना में तैयार हो रहा रेलवे स्टेशन जल्द बड़े महानगरों को टक्कर देगा। आगामी दिनों में लोग धौलपुर से करौली होते हुए ट्रेन से कोटा तक जा सकेंगे।
मॉडल सोलर विलेज से बदलाव की तस्वीर

विकास की दिशा में धौलपुर को नीति आयोग की कई प्रमुख योजनाओं में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ है। जिले के बसेड़ी ब्लॉक का गांव धौर्र ‘मॉडल सोलर विलेज’ के रूप में चयनित किया गया है। इस परियोजना के तहत 428 पक्के घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे, जिसकी लागत 5.67 करोड़ रुपए है। यह पहल जिले को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। इसी प्रकार नीति आयोग की ब्रेन हेल्थ इनिशिएटिव योजना के अंतर्गत देशभर के 17 जिलों में से राजस्थान से केवल धौलपुर को चुना गया है, जहां ब्रेन हेल्थ क्लिनिक की स्थापना की गई है। यह क्लिनिक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की जांच, परामर्श और उपचार की सुविधाएं देगा।
42 साल में 31 कलक्टर…औसत कार्यकाल 16 माह

जिले में स्थापना के बाद से अभी 2025 तक 31 जिला कलक्टरों ने कार्य किया। वर्तमान डीएम श्रीनिधि बी टी 31वे जिला कलक्टर हैं। जिले में जिला कलक्टरों को औसत कार्यकाल तय मापदण्ड की अपेक्षा कम रहा। मात्र 16 माह। हालांकि, 11वे जिला कलक्टर आईएएस अधिकारी प्रेम सिंह मेहरा का कार्यकाल 3 साल 3 माह रहा। दूसरे नम्बर पर आईएएस शुचि त्यागी रहीं। वे करीब 3 साल डीएम रहीं। तीसरे नम्बर पर भी महिला आईएएस अधिकारी श्रेया गुहा करीब 2 साल 7 माह धौलपुर डीएम रहीं। जिले के प्रथम डीएम आईएएस पीके देव थे, जो उस समय एडीएम धौलपुर के बतौर कार्य कर रहे थे। जिला बनने पर वे ही प्रथम डीएम हुए। इसका कार्यकाल मात्र बतौर डीएम 4 माह का रहा। ये 15 अप्रेल से अगस्त 1982 तक डीएम रहे।

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