नरेश लवानिया धौलपुर. पुरानी कहावत है..बेसहारों का सहारा बनने के लिए धन से नहीं…दिल से अमीर होना जरूरी है। तभी हम इस अवसरवादी समाज में असहायों का सहारा बन सकते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत है…जो पिछले 12 सालों से गरीब और जरूरतमंदों को घर-घर से खाना इक_ा कर उनका पेट भर रहे हैं। शुरुआत में बिस्कुट से गरीबों की क्षुधा शांत करने वाले नितिन आज 80 घरों से खाना एकत्र कर इतने ही लोगों पेट भर रहे हैं। नितिन यह काम अकेले ही करते हैं। जो शाम ढलते ही खाना एकत्र कर पहुंच जाते हैं। शहर के रेलवे स्टेशन पर और लोग भी उनका प्रतिदिन इंतजार करते हैं।
बिस्कुट से प्रारंभ किया अपना प्रयास 2013 में नितिन रसोई सेवा केन्द्र में कार्य करते थे। उस दौरान सेवा केन्द्र गरीब और असहायों को सप्ताह में एक दिन खाना खिलाते थे। लोगों को एक दिन खाना खिलाने की बात से वह संतुष्ठ नहीं थे। तब उन्होंने जरूरतमंदों को प्रतिदिन खाना खिलाने का मन में विचार आया। और जेब में पड़े 800 रुपए लेकर निकल पड़े असहायों का सहारा बनने। उस दिन उन्होंने 800 रुपए के बिस्कुट के पैकेट खरीदे और लोगों की मदद करने का अपना प्रयास प्रारंभ किया। जो कि छह माह तक चलता रहा।
लोगों ने की मदद, किया हौसला अफजाई नितिन बताते हैं कि उनके मन में लोगों को प्रतिदिन खाना खिलाने का विचार तो आ गया था, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह प्रतिदिन अपनी जेब से रुपए खर्च कर उनकी मदद कर सकें। तब उन्होंने अपने परिचतों से सम्पर्क किया और अपनी पीड़ा बताई। लोगों ने भी नितिन का हौसला अफजाई करते हुए अपने-अपने घरों से लोगों के लिए रोटी और सब्जी के पैकेट देना प्रारंभ कर दिए। साथ वह उनकी आर्थिक रूप से भी सहायता करने लगे।
मजबूत होता गया दृढ़ संकल्प का कारवां समय के साथ नितिन का गरीबों और असहायों की मदद करने का संकल्प और दृढ़ होता गया। धीरे-धीरे उन्होंने अपने इस धर्म यज्ञ में और लोगों को जोड़ा। आज 80 घरों के लोग उनका साथ दे रहे हैं। जो प्रतिदिन उनके लिए खाने का पैकेट जिसमें चार रोटी, सब्जी और अचार सहित देते हैं। जिन्हें नितिन एकत्र कर अपनी बाइक से पहुंच जाते हैं रेलवे स्टेशन पर गरीबों को खाना खिलाने।
त्योहारों पर पकवान तो नवरात्रि में फलाहारी ऐसा नहीं है कि नितिन और उनके कुनबे में जुड़े लोग जरूरतमंदों को रोटी और सब्जी का स्वाद चखाते हैं। तीज त्योहारों में जहां पूड़ी, सब्जी, रायता और मिठाई जैसे पकवान लोगों को बांटते हैं। वहीं नवरात्रि जैसे उपवास वाले दिनों में फलाहारी खाद्य सामग्री का भी वितरण करते हैं। इसके अलावा वह अपने साथियों की की मदद से सर्दी के मौसम में गर्म कपड़ों से लेकर चाय के स्वाद से भी असहायों को रूबरू कराते हैं।