क्या है यूजीसी का नया नियम
यूजीसी के इस ड्राफ्ट के अनुसार, अब कैंडिडेट्स 70 साल की उम्र तक कुलपति बन सकते हैं। वहीं विश्वविद्यालयों में कुलपति बनने के लिए अब अकादमिक क्षेत्र का होना अनिवार्य नहीं होगा। नए नियमों के तहत इंडस्ट्री, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, पब्लिक सेक्टर, पब्लिक पाॅलिसी, पीएसयू आदि सेक्टर के विषय विशेषज्ञ भी कुलपति बन सकेंगे। इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थान में 10 सालों का अनुभव रखने वाले भी यूनिवर्सिटी में कुलपति बन सकेंगे। इसके अलावा प्रोफेसर, रिसर्च सेक्टर में अकादमिक प्रशासन का अनुभव रखने वाले भी कुलपति बन सकेंगे। कुलपित के पद पर कोई व्यक्ति अधिकतम दो सालों तक टिक सकता है।
बिना NET-PhD वाले कैसे बनेंगे कुलपित
उच्च शिक्षा संस्थानों में बिना नेट और पीएचडी की डिग्री वाले भी प्रोफेसर बन सकते हैं। ऐसे कैंडिडेट्स को यूजीसी की प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना के तहत अपनी सेवाएं देनी होंगी। उद्योगों के विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञ इस योजना के तहत कॉलेज में 3 साल की अवधि तक प्रोफेसर के रूप में काम कर सकेंगे। लेकिन ये पद अस्थाई होंगे। कुल पदों के 10 प्रतिशत सीट्स पर ऐसे प्रोफेसरों की भर्ती की जाएगी। इन शर्तों को पूरा करना है जरूरी
मिली जानकारी के अनुसार,
UGC संगीत, योग, मूर्तिकला सहित कुल 8 क्षेत्रों में एक्सपर्ट को प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पद पर डायरेक्ट नियुक्त किया जाएगा। लेकिन असिस्टेंट प्रोफेसर के पद वाले कैंडिडेट्स के पास ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए। साथ ही संबंधित क्षेत्र में 5 साल का अनुभव या स्टेट या नेशनल अवॉर्ड होना चाहिए। वहीं एसोसिएट पदों के लिए भी शैक्षणिक योग्यता की शर्तों को पूरा करना जरूरी है। एसोसिएट पद के लिए यूजी की डिग्री के साथ दस साल का अनुभव और प्रोफेसर पद के लिए यूजी के साथ 15 साल का संबंधित क्षेत्र में अनुभव होना चाहिए।