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Cow Death Case: छत्तीसगढ़ में 40 गायों की भूख से मौत! 150 की कब्र खोदने की तैयारी पर पत्रिका का बड़ा खुलासा, मची खलबली

Cow Death Case: छत्तीसगढ़ के राजिम में 40 गायों की भूख से मौत की खबर का खुलासा पत्रिका ने किया है। पड़ताल में पता चला है कि बचे 150 की गोशाला में कब्र खोद रहे थे…

गरियाबंदMar 09, 2025 / 04:05 pm

चंदू निर्मलकर

cow death case
Cow Death Case: पत्रिका ने शनिवार शाम 7.23 बजे राजिम विधायक रोहित साहू को फोन कॉल पर पूरे मामले की सूचना दी। आधे घंटे से भी कम समय में नगर पंचायत सीएमओ के साथ थाने से पुलिसवाले गोशाला पहुंच गए। कुछ देर में एसडीएम विशाल महाराणा भी पहुंचे। रात 10 बजे तक गोशाला की पड़ताल की। पत्रिका ने उन्हें पैरी नदी के किनारे का वह वीडियो भी दिखाया, जिसमें गायों की सड़ती लाश है।

Cow Death Case: लोगों ने की सख्त कार्रवाई की मांग

इधर, मुआयने के दौरान गांव के लोगों की काफी भीड़ इकट्ठा हो गई थी। इस दौरान लोग अफसरों से मांग करते रहे कि उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर पूरे मामले की जांच करवाई जाए। गायों की मौत के लिए जो भी जिम्मेदार हों, उन पर सख्त कार्रवाई की मांग भी की है। नगर में धीरे-धीरे अजीब सी दुर्गंध फैल रही है। कुछ दिन पहले तक वार्ड 12-13 में बदबू की शिकायत रही।
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अब सुबह-शाम की हवा के साथ आधे से ज्यादा नगर महक उठता है। शनिवार को पत्रिका ने इसकी पड़ताल की, तो चौंकाने वाला सच सामने आया। नगर के बगल से बहने वाली पैरी नदी के घाट पर 35-40 गायों की लाश पड़ी थी। बुरी तरह सड़ चुकी इन लाशों में अब कीड़े भी आ रहे हैं।

इतनी गायों की मौत कैसे?

एकसाथ इतनी गायों की मौत कैसे? इसी की जानकारी जुटाते हुए हम नगर की इकलौती गोशाला तक पहुंचे। पता चला कि जिन गायों की लाश नदी किनारे पड़ी है, वो यहीं की थीं। यहां अब भी करनीब 150 मवेशी हैं। खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं। ऐसे में 25-30 कमजोर मवेशियों की हालत ऐसी है कि मानकर चलिए, कभी भी दम तोड़ सकते हैं।

लोगों ने बताया, गुपचुप नदी में फेंक देते हैं लाश

कुल मिलाकर सभी मवेशियों को मौत के घाट उतारने की तैयारी। और जानकारी जुटाने पर पता चला कि संस्था पिछले दो-ढाई महीने से गोशाला का सही तरीके से संचालन नहीं कर रही है। चारा-पानी तक नहीं है। इसके चलते 15 दिन पहले मवेशियों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ, जो अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। आसपास के लोगों ने बताया कि जब भी गोशाला में किसी मवेशी की मौत होती है, लाशों को गुपचुप नदी किनारे ठिकाने लगा दिया जाता है।

2 माह से चरवाहे नहीं आ रहे क्योंकि… तनख्वाह ही नहीं दी

पड़ताल में पता चला कि इस गोशाला में कोई चरवाहा ही नहीं है। 2-ढाई महीने पहले चरवाहों ने यहां आना छोड़ दिया। पूछने पर बताया कि उन्हेें पैसे नहीं मिल रहे थे। गोशाला में तकरीबन एक महीने से चारा पूरी तरह खत्म होने की बात भी बताई। चरवाहों की मानें तो पहले भी यहां चारे का आधा-अधूरा इंतजाम ही किया जाता था। मतलब गोशाला में पर्याप्त भोजन न होने पर जो मवेशी जंगल में चरकर आ जाते थे, गोशाला के जिम्मेदारों ने चरवाहों को पैसे न देकर भूख मिटाने का वह आखिरी जरिया भी खत्म कर दिया।

स्थानीय समिति को हटाकरदूसरी संस्था को सौंपा काम

कोपरा में यह गोशाला 2015 में खुूली। शुरुआती कुछ सालों तक नगर एवं कृषि विकास समिति ने संचालन किया। 2020 से एक संस्था इसे संचालित कर रही है। संचालक बरदा गांव के मनोज साहू बताए जाते हैं। कृषि विकास समिति के अध्यक्ष मोतीलाल साहू, उपाध्यक्ष केजूराम साहू, सचिव लक्ष्मीनारायण पटेल ने बताया कि कुछ दिन पहले गोशाला गए थे। अंदर, बाहर मवेशियों के कंकाल मिले। पूछताछ के लिए संचालक को बुलाया तो वह नहीं आया। अब मामले में एफआईआर दर्ज करवाने की तैयारी है।
राजिम विधायक रोहित साहू ने कहा कि कलेक्टर से बात कर प्रशासनिक अमले को जांच के लिए भेजा है। गोवंश को भूख-प्यास से तड़पाकर मारने और उनकी लाशें सड़ाने की बात सही निकली, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। मैं खुद इसे सुनिश्चित करूंगा।
एसडीएम विशाल महाराणा ने पत्रिका से कहा कि प्रथम दृष्टया संस्था की लापरवाही है। चारे का इंतजाम नहीं था। हमने रात में ही व्यवस्था कर दी है। जवाब तलब के लिए गोशाला संचालक को सोमवार को दफ्तर बुलाया है। उच्चाधिकारियों को भी इसकी रिपोर्ट भेज रहे हैं।
शंकराचार्य के कृपापात्र शिष्य पं. झम्मन शास्त्री ने पत्रिका से कहा कि ऐसी हरकत करने वाले उद्दंडियों पर दंडात्मक कार्रवाई जरूरी है। इसके लिए सक्षम कानून चाहिए। केंद्र सरकार को चाहिए कि गो हत्या रोकने के लिए सक्षम कानून बनाए। गो को राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाए।

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