जेल प्रशासन ने दोनों बच्चियों के साथ स्मृति स्वरूप तस्वीरें खिंचवाईं और उन्हें अपनी ही गाड़ी से स्कूल भेजा। इन बच्चियों का दाखिला शहर के प्रतिष्ठित सरस्वती विद्या मंदिर में कराया गया है। एक का प्रवेश यूकेजी (Upper KG) और दूसरी का केजी (KG) कक्षा में हुआ है।
जिला जेल में फिलहाल तीन महिला बंदियों के पांच बच्चे रह रहे हैं। इनमें सबुआ निवासी एक महिला बंदी के तीन छोटे-छोटे बच्चे शामिल हैं। महिला अपने पति, सास, ससुर और देवर के साथ दहेज हत्या के मामले में पिछले डेढ़ वर्ष से जेल में है। जेल सूत्रों के अनुसार, यह मामला महिला की देवरानी की संदिग्ध मौत से जुड़ा है, जिसमें पूरे परिवार को सजायाफ्ता करार दिया गया है।
महिला की दो बेटियां क्रमशः चार और पांच वर्ष की हैं, जबकि सबसे छोटा बेटा महज तीन वर्ष का है। बाल कल्याण समिति के निर्देश और जेल प्रशासन की पहल पर बच्चियों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा गया है।
इस सराहनीय कदम की चारों ओर सराहना हो रही है। यह पहल न सिर्फ बच्चियों के भविष्य को संवारने वाली है, बल्कि जेल सुधार प्रणाली की दिशा में भी एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करती है।