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ग्वालियर

प्रसंगवश… कमाई का जरिया बना पीडीएस का चावल

सरकार की योजनाओं में बंटने वाला पीडीएस का चावल खाद्यान्न माफिया व अधिकारियों की मिलीभगत से बिक रहा है बाजार में

ग्वालियरFeb 11, 2025 / 08:52 pm

रिज़वान खान

सरकार की योजनाओं में बंटने वाला पीडीएस का चावल खाद्यान्न माफिया व अधिकारियों की मिलीभगत से बिक रहा है बाजार में

सरकार की योजनाओं में बंटने वाला पीडीएस का चावल खाद्यान्न माफिया व अधिकारियों की मिलीभगत से बिक रहा है बाजार में

सरकार की योजनाओं में बंटने वाला पीडीएस का चावल खाद्यान्न माफिया व अधिकारियों की मिलीभगत से बिक रहा है बाजार में

ग्वालियर चंबल अंचल में शासन की योजनाओं का लाभ जरुरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत हर माह लाखों टन खाद्यान्न का वितरण ग्वालियर-चंबल संंभाग में किया जा रहा है, लेकिन यह खाद्यान्न जरुरतमंदों को मिलने के बजाय बाजार में बेखौफ बेचा जा रहा है। इसमें सबसे ज्यादा पीडीएस का चावल है। जिसे खाद्यान्न माफिया खाद्य विभाग के अधिकारियों से साठगांठ कर बेचकर मोटी रकम कमा रहे हैं। बीते दो माह में अंचल के शिवपुरी, मुरैना व भिण्ड जिले में शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर गरीबों के लिए वितरित होना वाला चावल पकड़ा गया है। जिसमें खाद्यान्न माफिया के गुर्गे बेचने के लिए ले जा रहे थे। मुरैना जिले के बानमोर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित एक फैक्टरी में प्रशासन ने 160 बोरे पीडीएस चावल के बरामद भी किए थे। वहीं एक मामले में पुलिस द्वारा पीडीएस के चावल से भरे ट्रक को साठगांठ कर छोड़ने पर तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित भी किया जा चुका है, लेकिन कुछ मामलों को दबा दिया गया। अकेले मुरैना जिले की बात करें तो जुलाई से लेकर जनवरी तक यहां एक हजार क्विंटल से ज्यादा पीडीएस का चावल पकड़ा जा चुका है। वहीं भिण्ड जिले के गोरमी में नीलामी की आड़ में गरीबों का राशन हड़पकर राइस मिल और बाजार में बेच जा रहा था। पुलिस ने रास्ते में वाहन पकड़ कर उसमें भरा ५२ क्विंटल चावल जब्त किया था। बाद में व्यवसायाी पर एफआईआर भी दर्ज की गई थी। इसी प्रकार दिसंबर माह में शिवपुरी औद्योगिक क्षेत्र से एमएस इंडस्ट्रीज फर्म के गोदाम पर एक ट्रॉला में 800 क्विंटल पीडीएस का चावल मिल गोदाम का सील किया गया। लेकिन यहां अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है। दतिया व श्योपुर जिलों में पीडीएस के चावल की कालाबाजारी हो रही है फिलहाल यहां कोई मामला अभी तक पकड़ में नहीं आया है। इसलिए गरीबों के हक पर डाका डालने वालों के हौसले बढ़े हुए हैं। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि शासन की योजनाओं का लाभ जरुरतमंद हर व्यक्ति को मिले। ऐसी व्यवस्था की जाए। खाद्यान्न माफिया व भ्रष्ट अमले पर नकेल कसने के लिए अब कड़े कदम उठाने चाहिए। वितरण व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों की समय-समय पर वरिष्ठ अधिकारियों को मॉनीटरिंग करनी चाहिए। साथ ही कहीं भी कोई गड़बड़ी होने पर संबंधित पर सख्त कार्रवाई कर उसे दंडित किया जाना चाहिए।

अवधेश श्रीवास्तव avdhesh.shrivastava@epatrika.com

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