कलेक्टर रुचिका चौहान ने जिले में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 223 की धारा 163 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया। अब जिले में बगैर अनुमति के लाउड स्पीकर, डीजे, बैंड, प्रेशर हॉर्न व अन्य साउंड सिस्टमों का उपयोग नहीं होगा। बजाने के लिए विहित प्राधिकारी से अनुमति लेनी होगी। बगैर अनुमति उपयोग करने वालों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा। अधिकतम दो डीजे व लाउड स्पीकर की अनुमति होगी। यह आदेश 5 अप्रेल तक लागू रहेगा।
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सुप्रीम कोर्ट और जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए स्पष्ट किया है कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी भी प्रकार के साउंड सिस्टम का उपयोग नहीं होगा। कलेक्टर ने वाहनों में लगने वाले प्रेशर हॉर्न को रखने और बेचने पर भी रोक लगाई है।
स्वास्थ्य पर असर
लाउड स्पीकर, डीजे, बैंड इत्यादि के शोर से मनुष्य के काम करने की क्षमता, आराम, नींद और बातचीत में बाधा होती है। 85 डेसीबल से अधिक शोर होने पर बहरापन व श्रवण दोष की स्थिति बनती है तो 90 डेसीबल से अधिक शोर होने पर कान के आंतरिक भाग को क्षति होती है।