दरअसल मध्य प्रदेश सरकार की पहल पर इंदौर के हुकुमचंद मिल के मजदूरों को देनदारी वापस मिल चुकी है। इस तर्ज पर जेसी मिल के मजदूरों को भी देनदारी देने का प्रस्ताव तैयार किया है। यह प्रस्ताव भोपाल जा चुका है, लेकिन संपत्ति बेचने का अधिकार शासन के पास नहीं है। इस कारण फंड एकत्रित नहीं हो पा रहा है।
मिल के ऊपर 131 करोड़ की देनदारी बताई थी, जिसमें 8000 हजार मजदूर और 8 बैंकों का बकाया बताया था। इतना पैसा मिल की संपत्ति को नीलाम करके मिल सकता था, लेकिन एसबीआई का 2 हजार 930.61 करोड़ निकला है। यह बड़ी रकम है, जिसे चुकाना संभव नहीं है। लश्कर एसडीएम नरेंद्र बाबू यादव का कहना है कि संपत्ति का फिर से आंकलन किया जा रहा है।
जमीन से जुटाया जाना है फंड, हाउसिंग बोर्ड को देने का था प्रस्ताव
-जेसी मिल के पास खुद के स्वत्व की 150 बीघा जमीन है। इसमें 100 बीघा जमीन खाली है और 50 बीघा जमीन पर अतिक्रमण है। जेसी मिल की जमीन पर मजदूरों का भी कब्जा है। -जेसी मिल के पास सरकार की भी जमीन थी। यह जमीन शासन को वापस मिल गई है। शासन ने इस जमीन पर मिल मजदूरों को 500 पट्टे दे दिए हैं। -जेसी मिल की जमीन पर भी क्वार्टर बने हैं। इन क्वार्टरों में अभी मजदूर निवास कर रहे हैं।
-जमीन के संबंध में फैसला लेने का अधिकार लिक्विडेटर के पास है। -हाईकोर्ट में 1997 से कंपनी पिटीशन लंबित हैं। मिल प्रबंधन व मजूदरों के खिलाफ पिटीशन लंबित है। ये भी पढ़ें:
एमपी में साहूकार को दफ्तर से बाहर खींचकर गोली मारी, दिन दहाड़े हत्या, हत्यारों पर 10-10 हजार का इनाम