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हनुमानगढ़

आलू और मिर्च की बड़े स्तर पर की जा रही पैदावार, प्रदेश से बाहर भी हो रही मांग

हनुमानगढ़/ टिब्बी. खाद्यान्न उत्पादन में पहचान रखने वाले हनुमानगढ़ जिला अब सब्जी उत्पादन में भी कदम आगे बढ़ा रहा है। बाहरी राज्यों से कुछ किसान ठेके पर जमीन लेकर यहां बागवानी कर रहे हैं। इस दौरान कीटनाशक और खाद का उपयोग भी खूब किया जा रहा है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति भविष्य में प्रभावित हो सकती है।

हनुमानगढ़May 25, 2025 / 09:56 am

Purushottam Jha

आलू और मिर्च की बड़े स्तर पर की जा रही पैदावार, प्रदेश से बाहर भी हो रही मांग

आलू और मिर्च की बड़े स्तर पर की जा रही पैदावार, प्रदेश से बाहर भी हो रही मांग

हनुमानगढ़/ टिब्बी. खाद्यान्न उत्पादन में पहचान रखने वाले हनुमानगढ़ जिला अब सब्जी उत्पादन में भी कदम आगे बढ़ा रहा है। बाहरी राज्यों से कुछ किसान ठेके पर जमीन लेकर यहां बागवानी कर रहे हैं। इस दौरान कीटनाशक और खाद का उपयोग भी खूब किया जा रहा है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति भविष्य में प्रभावित हो सकती है। ज्यादा रुझान की बात करेें तो जिले का टिब्बी तहसील क्षेत्र अब परम्परागत खाद्यान्न फसलों के अलावा सब्जियों का उत्पादन भी बड़ी मात्रा में करने लगा है। टिब्बी के अलावा पीलीबंगा, रावतसर व हनुमानगढ़ के आसपास कुछ बाहरी राज्यों से आए किसान ठके पर जमीन लेकर सब्जियां उगा रहे हैं। अकेले टिब्बी की बात करें तो इस बार टिब्बी क्षेत्र के विभिन्न गांवों की सैंकड़ों बीघा में सीजनली सब्जियों का उत्पादन किया गया है। जिसके चलते यहां उत्पादित सब्जियां आसपास के कस्बों के अलावा बड़े शहरों की मंडियों में भी भेजी जा रही है। क्षेत्र के अधिकतर जमींदार परम्परागत खेती के तौर पर गेहूं, चावल, नरमा व सरसों की खेती कर रहे हैं। लेकिन भूमिहीन खेतीहर मजदूर के तौर पर काम करने वाले परिवार ठेके पर जमीन लेकर उस पर सब्जियां उगा रहे हंै। क्षेत्र में सीजन के अनुसार फिलहाल भिंडी, टिंडा, तौरी, हरी मिर्च, खीरा, करेला, कददू आदि का उत्पादन किया जा रहा है। यहां उत्पादित सब्जियां टिब्बी, संगरिया, ऐलनाबाद व हनुमानगढ़ के अलावा श्रीगंगानगर, जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, पाली आदि मंडियों में भी बिकने के लिए भेजी जा रही है। पिछले बीस सालों से ठेके पर जमीन लेकर सब्जी उत्पादन करने वाले कमीरा सिंह का कहना है कि वे सीजन के अनुसार सब्जियां उत्पादित कर रहे हैं। उन्हे एक बीघा से पचास हजार रुपए तक का फायदा हो जाता है हालांकि कई बार मौसम के बिगडऩे के कारण सब्जियों के खराब होने से आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ जाता है। इस बार कश्मीरा सिंह ने हरी मिर्च उत्पादित की है। जिसे जयपुर तक सप्लाई किया जा रहा है। टिब्बी के सब्जी विक्रेता सतपाल प्रजापति के अनुसार क्षेत्र में बड़ी तादाद में सीजनली सब्जियां उत्पादित हो रही है। जिन्हें बोली के माध्यम से दुकानदार खरीदते हैं। जो सब्जियां यहां उत्पादित नहीं होती उन्हें ऐलनाबाद व हनुमानगढ़ की मंडी से खरीद कर दुकानदार लाते हंै।
आलू का हब बना टिब्बी क्षेत्र
परम्परागत रूप से रबी की फसल के रूप में गेहूं व सरसों का उत्पादन करने वाले हनुमानगढ़ जिले के किसानों का रूझान आलू के उत्पादन की ओर बढ़ा है। इसके चलते क्षेत्र आलू हब के रूप में उभरा है। करीब सात-आठ साल पूर्व क्षेत्र के किसानों ने नवाचार के तौर पर आलू की फसल बोई थी लेकिन आलू के प्रतिबीघा अच्छे उत्पादन के चलते आलू उत्पादित करने वाले किसानों की तादाद हर साल बढ़ती जा रही है। किसानों के आलू उत्पादन की ओर बढे रूझान के कारण इस बार पांच-छह सौ बीघा में आलू की फसल की बुआई हुई थी। आलू उत्पादन में टिब्बी के साथ पीरकामडिया, चंदूरवाली, नाईवाला, कुलचंद्र, सहारणी, गिलवाला, सूरेवाला व केएसपी क्षेत्र का रकबा शामिल है। मार्च-अप्रेल माह में आलू की फसल पककर तैयार हो जाती है। इसके कारण किसान आलू की फसल को निकालकर कोल्ड स्टोरेज में रखवा देते हैं। दूसरे शहरों में व्यापारियों के पास बिक्री के लिए भिजवा देते हैं। आलू उत्पादक किसानों के अनुसार आलू की प्रति बीघा पैदावार 80 क्विंटल से 125 क्विंटल हो जाती है। तथा आलू 7 से 8 रुपए प्रति किग्रा के हिसाब से मंडियों में थोक के भाव बिक जाता है। इस हिसाब से प्रति बीघा अच्छी आमदनी किसानों को हो जाती है।
बड़े शहरों में भेजा जा रहा आलू
क्षेत्र के किसानों ने आलू तो भारी मात्रा में उपजा रहे हैं। लेकिन आलू के उत्पादन के बाद उनके सामने अनेक परेशानियां भी आ रही है। आलू को बेचने के लिए नजदीक में बड़ी मंडियों का अभाव, आलू को बचाए रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज नहीं होना तथा आलू के उत्पादन के समय दाम का कम होना आदि समस्याएं किसानों के समक्ष आ रही है। हालांकि किसान हनुमानगढ़ जिले के साथ बीकानेर, जोधपुर, पाली सहित राजस्थान के बड़े शहरों तथा हरियाणा व पंजाब की मंडियो में आलू बेच रहे हंै। आने वाले समय में आलू के रकबे के ओर बढऩे की संभावना किसान जता रहे हैं।

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