परम्परागत रूप से रबी की फसल के रूप में गेहूं व सरसों का उत्पादन करने वाले हनुमानगढ़ जिले के किसानों का रूझान आलू के उत्पादन की ओर बढ़ा है। इसके चलते क्षेत्र आलू हब के रूप में उभरा है। करीब सात-आठ साल पूर्व क्षेत्र के किसानों ने नवाचार के तौर पर आलू की फसल बोई थी लेकिन आलू के प्रतिबीघा अच्छे उत्पादन के चलते आलू उत्पादित करने वाले किसानों की तादाद हर साल बढ़ती जा रही है। किसानों के आलू उत्पादन की ओर बढे रूझान के कारण इस बार पांच-छह सौ बीघा में आलू की फसल की बुआई हुई थी। आलू उत्पादन में टिब्बी के साथ पीरकामडिया, चंदूरवाली, नाईवाला, कुलचंद्र, सहारणी, गिलवाला, सूरेवाला व केएसपी क्षेत्र का रकबा शामिल है। मार्च-अप्रेल माह में आलू की फसल पककर तैयार हो जाती है। इसके कारण किसान आलू की फसल को निकालकर कोल्ड स्टोरेज में रखवा देते हैं। दूसरे शहरों में व्यापारियों के पास बिक्री के लिए भिजवा देते हैं। आलू उत्पादक किसानों के अनुसार आलू की प्रति बीघा पैदावार 80 क्विंटल से 125 क्विंटल हो जाती है। तथा आलू 7 से 8 रुपए प्रति किग्रा के हिसाब से मंडियों में थोक के भाव बिक जाता है। इस हिसाब से प्रति बीघा अच्छी आमदनी किसानों को हो जाती है।
क्षेत्र के किसानों ने आलू तो भारी मात्रा में उपजा रहे हैं। लेकिन आलू के उत्पादन के बाद उनके सामने अनेक परेशानियां भी आ रही है। आलू को बेचने के लिए नजदीक में बड़ी मंडियों का अभाव, आलू को बचाए रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज नहीं होना तथा आलू के उत्पादन के समय दाम का कम होना आदि समस्याएं किसानों के समक्ष आ रही है। हालांकि किसान हनुमानगढ़ जिले के साथ बीकानेर, जोधपुर, पाली सहित राजस्थान के बड़े शहरों तथा हरियाणा व पंजाब की मंडियो में आलू बेच रहे हंै। आने वाले समय में आलू के रकबे के ओर बढऩे की संभावना किसान जता रहे हैं।