राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में बच्चों में फैले वायरस की आशंका के चलते स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। सूत्रों की मानें तो गत एक सप्ताह में जिले में चार बच्चों की मौत संक्रमण से होने की आशंका है। इसकी पुष्टि अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने नहीं की है।
गत दिन में निकटवर्ती गांव सम्पतनगर में संक्रमण के कारण दो बच्चों की मौत होने की सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव के दर्जनों लोगों के सैंपल लिए और जांच के लिए जयपुर भिजवाए हैं। जांच रिपोर्ट आने में दो दिन लगेंगे। इसके बाद ही वायरस की पुष्टि होगी। प्रथमदृष्टया स्वास्थ्य विभाग की टीम इसे इन्फ्लूएंजा मान रही है। जयपुर एसएमएस की माइक्रोबायोलोजी लैब में सैंपल की जांच होने के बाद ही इस वायरस के बारे में पूरी तस्वीर साफ हो पाएगी।
राज्य स्तर पर करवाया अवगत
अगर मामला इतना गंभीर नहीं होता तो स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हनुमानगढ़ जिले की इस घटना के बारे में राज्य स्तर तक अवगत नहीं करवाते। मंगलवार को सम्पतनगर में दो बच्चों की मौत सामने के बाद हनुमानगढ़ की 12 साल की बच्ची बीकानेर में भर्ती होने की सूचना भी स्वास्थ्य विभाग को मिली है। इस बच्ची को सांस लेने की तकलीफ होने पर परिजन हनुमानगढ़ टाउन स्थित जिला अस्पताल में लेकर आए थे।
यहां स्थिति गंभीर होने पर बीकानेर रेफर किया था। दूसरा मामला आठ फरवरी का बताया जा रहा है, इस दिन दोपहर डेढ़ बजे के करीब एक बच्चे को भर्ती किया गया था और रात ग्यारह बजे के करीब बच्चे ने दम तोड़ दिया था। खुंजा में भी संक्रमण के कारण एक बच्चे की मौत हुई है। यह सूचना भी स्वास्थ्य विभाग को मिली है। इस सूचना के आधार पर पूरे प्रकरण की जांच जा रही है।
प्राइवेट अस्पतालों से मांगी जानकारी
स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों के प्राइवेट अस्पताल संचालकों से ओपीडी की जानकारी मांगी। इसके अतिरिक्त गत एक सप्ताह में कितने बच्चे भर्ती हुए और किस तरह की समस्या होने पर भर्ती किया गया था। बच्चों की जांच रिपोर्ट इत्यादि सूचना एकत्रित करने के निर्देश दिए गए हैं। उधर टाउन जिला अस्पताल में एक सप्ताह के दौरान कितने बच्चों को रेफर किया गया है, उसकी जानकारी लेकर उन बच्चों का फॉलोअप तैयार किया जा रहा है।
यह होते हैं लक्षण
शुरूआती तौर पर बच्चों को बुखार व खांसी की शिकायत होती है। इसके अलावा गले में खराश, शरीर में दर्द, ठंग लगना इत्यादि लक्षण होते हैं। ऐसी स्थिति में चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। बच्चों को समय पर दवा नहीं देने पर न्यूमोनिया की शिकायत हो रही है।
बच्चे की छाती में पूरी तरह जकड़न होने पर सांस लेने की तकलीफ होने लगती है। चिकित्सकों की मानें तो सामान्य तौर पर बच्चों के बीमार होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें और समय पर दवाई दें। इस तरह के बच्चे केवल तीन से पांच दिन में ठीक हो रहे हैं।
पत्रिका में प्रकाशित समाचार
मंगलवार सुबह पत्रिका को सूचना मिली कि गांव सम्पतनगर की ढाणी में बुखार एवं संक्रमण से एक दिन के अंतराल में भाई-बहन की मौत हो गई है। जबकि मृतकों का चचेरे भाई भी बीमार चल रहा है। इस सूचना के मिलने पर पत्रिका टीम मौके पर पहुंची। मौके पर जाकर देखा तो स्वास्थ्य विभाग की टीम ग्रामीणों की जांच के लिए सैंपल ले रही थी। मामला गंभीर होने पर पत्रिका ने प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया और लोगों को बच्चों में फैल रहे संक्रमण को लेकर जागरुक किया।
जिला अस्पताल ने किया था रेफर
गांव सम्पतनगर में जिन दो बच्चों की मौत हुई है। इन बच्चों को परिजन टाउन स्थित जिला अस्पताल भी लेकर गए थे। बच्चों के फेफड़े बुरी तरह जकड़े हुए थे और ऑक्सीजन भी काफी कम थी। मामला गंभीर होने पर चिकित्सकों ने दोनों को रेफर किया। बच्चों की स्थिति इतनी ज्यादा गंभीर होने पर चिकित्सकों ने हैरानी भी जताई थी।
यह वीडियो भी देखें
ये बोले अधिकारी
गांव सम्पतनगर में परिजनों की जांच के लिए सैंपल लिए गए हैं। एक 12 साल की बच्ची बीकानेर में भर्ती होने की सूचना मिली है। फिलहाल बच्ची के घर पर ताला है। परिजनों से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है। वायरस की जांच कराने के लिए सैंपल जयपुर एसएमएस भेजे गए हैं और स्थिति गंभीर होने की आशंका के चलते राज्य स्तर तक अवगत करवाया गया है।