आइवीएफ सेंटर प्रभारी डॉ. अनिता शर्मा ने बताया कि पिंकी (परिवर्तित नाम) एक निजी स्कूल में टीचर है वह पिछले डेढ़ महीने से ईविंग्स सारकोमा नामक कैंसर से पीड़ित है। उसका इलाज स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में चल रहा है और जल्द ही उसकी कीमोथैरेपी शुरू होनी है। इस इलाज का असर उसकी प्रजनन क्षमता पर पड़ सकता था, इसलिए उसने अपने अंडे फ्रीज (Egg Freezing) करवाने का निर्णय लिया ताकि वो भविष्य में मां बन सके।
माइनस 196 डिग्री में अंडे सुरक्षित:
अस्पताल अधीक्षक डॉ. आशा वर्मा ने बताया कि अंडे फ्रीज (Egg Freezing) करवाने की प्रकिया अत्यंत सूक्ष्म होती है। पतली नीडल से अंडों को अंडाशय से बाहर निकालकर लिक्विड नाइट्रोजन से भरे कंटेनर में माइनस 196 डिग्री सेल्सियस पर सुरक्षित रखा जाता है। यह फर्टिलिटी संरक्षण की आधुनिक तकनीक है, जिसमें अंडे 10 वर्षों तक सुरक्षित रह सकते हैं, हालांकि विशेष परिस्थितियों में यह अवधि और बढ़ाई जा सकती है।
10 दिन में पूरी हुई प्रक्रिया
सामान्य रूप से अंडे फ्रीज (Egg Freezing) करने की प्रक्रिया में एक से डेढ़ महीने लगते हैं, लेकिन कैंसर के कारण यह पूरी प्रक्रिया केवल 10 दिन में पूरी की गई। हार्मोनल इंजेक्शन के बाद बुधवार को दसवें दिन युवती के 6 स्वस्थ अंडों को निकालकर क्रायोप्रिजर्व किया गया। डॉ. शर्मा के अनुसार अब युवती निश्चिंत होकर कैंसर का उपचार ले सकती है और शादी के बाद आइवीएफ तकनीक से मां बनने का विकल्प उसके पास रहेगा।