Deficiency of Vitamin D and Magnesium : डायबिटीज और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी
टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोग (Diabetic patients) अक्सर माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी से ग्रस्त होते हैं। इसका मतलब है कि उनके शरीर में विटामिन और मिनरल्स की मात्रा इतनी कम हो जाती है कि शरीर को ठीक से कार्य करने में समस्या होती है। बीएमजे न्यूट्रिशन, प्रिवेंशन एंड हेल्थ जर्नल में 29 जनवरी 2025 को प्रकाशित एक अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ कि डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों में सबसे आम कमी विटामिन D की है, इसके अलावा मैग्नीशियम, आयरन, और विटामिन B12 की कमी भी व्यापक है।महिलाओं और अमेरिकी क्षेत्र में अधिक जोखिम
अध्ययन में यह भी पाया गया कि महिलाओं में यह कमी पुरुषों की तुलना में अधिक पाई जाती है। इसके अलावा, अमेरिका क्षेत्र में रहने वाले डायबिटीज मरीजों में इस कमी का प्रतिशत सबसे ज्यादा 54% है। इस आंकड़े से यह स्पष्ट होता है कि डायबिटीज और विटामिनों की कमी के बीच एक गहरी कड़ी जुड़ी हुई है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां आहार और जीवनशैली में विशेष अंतर होते हैं। यह भी पढ़ें: 30 से 40 वर्ष के युवाओं में क्यों बढ़ रहे हैं Heart Attack, कार्डियोलॉजिस्ट ने बताई बड़ी वजह
अध्ययन की विशेषताएं और आंकड़े
इस अध्ययन में 132 शोधों का विश्लेषण किया गया, जिसमें 52,501 प्रतिभागियों का डेटा शामिल था। यह अध्ययन 1998 से 2023 तक के समय में किया गया था और लगभग सभी शोध अस्पतालों में किए गए थे। शोध से पता चला कि लगभग 45% डायबिटीज मरीजों में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी पाई गई, जबकि जिन मरीजों को डायबिटीज (Diabetes) से जुड़ी जटिलताएँ थीं, उनमें यह प्रतिशत थोड़ा कम (40%) था।डायबिटीज और पोषण का गहरा संबंध
शोधकर्ताओं का कहना है कि टाइप 2 डायबिटीज का प्रभाव केवल ग्लूकोज मेटाबोलिज्म पर नहीं बल्कि समग्र पोषण पर भी पड़ता है। यह बीमारी न केवल इंसुलिन सिग्नलिंग को प्रभावित करती है, बल्कि विटामिन और मिनरल्स की कमी के कारण रोगियों की सेहत और बिगड़ सकती है। इसलिए, डायबिटीज के उपचार के दौरान सिर्फ ऊर्जा मेटाबोलिज्म पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि समग्र पोषण को भी प्राथमिकता देनी चाहिए।शोध और नीतियों के लिए महत्वपूर्ण संकेत
इस अध्ययन के निष्कर्ष इस बात का संकेत देते हैं कि डाइबिटीज (Diabetes) के इलाज में सिर्फ कैलोरी और मैक्रोन्यूट्रिएंट्स पर ध्यान देने के बजाय, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी की पहचान करना और इस दिशा में सुधार करना अत्यंत आवश्यक है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस अध्ययन के परिणामों को ध्यान में रखते हुए नीतियाँ और शोध कार्य किए जाने चाहिए, ताकि इस छिपी हुई भुखमरी की समस्या से निपटने के लिए लक्षित उपाय तैयार किए जा सकें। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी, जिसे “छिपी हुई भुखमरी” कहा जाता है, टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के मरीजों के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इस समस्या को सुलझाने के लिए अधिक अध्ययन और सटीक उपायों की आवश्यकता है, ताकि इस स्वास्थ्य संकट से निपटा जा सके।