विश्नोई समाज के लोगों ने कहा कि अमावस्या के दिन गायों को लापसी खिलाना बहुत पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे पूरे परिवार और आने वाली पीढिय़ों का कल्याण होता है। शास्त्रों में भी गाय को भोजन कराने का महत्व बताया गया है। अमावस्या के दिन गायों को खिलाने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। अमावस्या के दिन पूर्वजों को तर्पण करने और मोक्ष पाने में मदद मिलती है। अमावस्या के दिन गायों को खिलाने से शक्ति बढ़ती है। इस दिन गायों का पूजन करना सबसे अच्छा माना जाता है। पितर पक्ष को खुश करने के लिए गायों को हरा चारा और गुड़ भी खिलाया जाता है।
इसके साथ ही हवन का आयोजन किया गया। सामूहिक हवन के दौरान जांभोजी की बताई शब्दवाणी का पाठ किया गया। हवन के माध्यम से मानव मात्र के कल्याण की कामना की गई। विश्नोई समाज के लोगों ने कहा कि विश्नोई पंथ में हवन का अत्यधिक महत्व है। समाज के प्रत्येक संस्कार पर हवन होता है। इसके साथ-साथ शब्दवाणी में भी हवन के महत्व को प्रकट किया है और हवन न करने को मनुष्य का बड़ा अपराध माना है। हवन के सम्पूर्ण होने पर धूप मंत्र बोला जाता है। हवन के इस महत्व के पीछे एक कारण यह भी है कि पंथ में हवन की ज्योति में गुरु जाम्भोजी के दर्शन माने जाते है।
विश्नोई समाज के लोगों ने कहा कि विश्नोई समाज में हवन का बहुत महत्व है तथा समाज के लोगों को गुरु जांभोजी ने प्रतिदिन हवन करने को कहा है। प्रतिदिन हवन करने से वातावरण में शुद्धि बनी रहती है। विष्णु भगवान उपासक व गुरु जम्भेश्वर भगवान के अनुयायी मानने वाले विश्नोई पंथ के लोग जीव दया व पर्यावरण संरक्षण के हितैषी रहे हैं। गुरु जम्भेश्वर महाराज ने अपने शब्दवाणी में इसका विशेष उल्लेख किया है। समाज के लोगों ने कहा कि गुरु जम्भेश्वर ने अपने अनुयायियों को 29 नियमों की पालना करने को कहा था। विश्नोई पंथ में गुरु जाम्भोजी के समय से ही हवन की प्रथा चली आ रही है। हवन के समय शब्दवाणी के शब्दों को एक विशेष लय में पाठ किया जाता है।