पांच साल पूर्व हुब्बल्ली में बने चार मंजिला खेतेश्वर भवन ने इस आयोजन को एक नया स्थाई ठिकाना प्रदान किया है। भवन के भूतल पर विराजमान संत खेतेश्वर की तस्वीर के समक्ष प्रतिदिन सुबह और शाम आरती की जाती है, जो समाज के धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। पहले यह महोत्सव विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया जाता था, लेकिन अब भवन निर्माण के बाद यह आयोजन एक संगठित रूप में अपने स्थाई स्थान पर हो रहा है।
बरसी महोत्सव से एक दिन पूर्व होने वाली भजन संध्या विशेष आकर्षण का केंद्र रहती है, जिसमें स्थानीय भजन कलाकार अपनी मधुर प्रस्तुतियों से समां बांध देते हैं। पूर्णिमा एवं एकादशी के दिन समाज की महिलाएं सामूहिक भजन कार्यक्रमों के माध्यम से नारीशक्ति की सांस्कृतिक भागीदारी को मजबूत करती हैं।
हुब्बल्ली में निवास कर रहे राजपुरोहित समाज के लोग राजस्थान के विभिन्न जिलों बालोतरा, बाड़मेर, पाली, जालोर, सिरोही, जोधपुर, फलोदी, बीकानेर और चूरू आदि जिलों से प्रमुख रूप से है। इन सभी की एकता, संस्कृति के प्रति समर्पण और सामाजिक सहभागिता ने हुब्बल्ली में एक सशक्त सांस्कृतिक पहचान बनाई है।
राजपुरोहित समाज हुब्बल्ली के अध्यक्ष भूरसिंह पटाऊ है। इसके साथ ही अन्य पदाधिकारियों में शैतानसिंह मायलावास उपाध्यक्ष, रणजीतसिंह रमणिया सचिव, रमेशसिंह आम्बलारी सह सचिव एवं जब्बरसिंह रमणिया कोषाध्यक्ष के पद पर कार्यरत है। इसके साथ ही अमितसिंह सांथू, दलपतसिंह अर्थण्डी, गोपालसिंह गोलिया, हरिसिंह नरसाणा, हुकमसिंह सेवाली, इन्द्रसिंह रूंगड़ी, जीतेन्द्रसिंह मणादर, नकुलसिंह ओडवाड़ा, शैतानसिंह शुभदण्ड, शंकरसिंह ऊण एवं बिशनसिंह भागली कार्यकारिणी सदस्य है।
राजपुरोहित समाज हुब्बल्ली के अध्यक्ष भूरसिंह पटाऊ ने बताया कि राजपुरोहित समाज न केवल धार्मिक आयोजनों में बल्कि सामाजिक आयोजनों में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। समाज के लोग होली और दिवाली जैसे प्रमुख पर्व भी पूरे उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाते हैं। समाज की ओर से समय-समय संत-महात्माओं एवं राजस्थान से आने वाले प्रमुख लोगों का स्वागत-सत्कार भी राजस्थानी परम्परा के अनुसार किया जा रहा है।