उन्होंने बताया कि गांवों में रहने वाले छात्र इससे ऑनलाइन संसाधनों का भरपूर लाभ उठा सकते हैं। वर्चुअल कक्षाओं में भाग ले सकते हैं और ऐसी शैक्षिक सामग्री से जुड़ सकते हैं जो पहले उनकी पहुंच से बाहर थी। डिजिटल शिक्षण अवसरों के इस लोकतंत्रीकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि हो रही है, जिससे संभावित रूप से बेहतर शैक्षणिक परिणाम और वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए करियर की संभावनाएं बढ़ रही है।
त्रिपाठी ने बताया कि बीएसएनएल राष्ट्रीय वाई-फाई रोमिंग एक सेवा है जो बीएसएनएल एफटीटीएच (फाइबर टू द होम) ग्राहकों को पूरे देश में बीएसएनएल वाई-फाई हॉटस्पॉट के माध्यम से अपना इंटरनेट कनेक्शन इस्तेमाल करने की सुविधा देती है। इसका मतलब है कि अगर आप घर पर बीएसएनएल एफटीटीएच इंटरनेट से जुड़े हैं, तो आप देश में कहीं भी बीएसएनएल के वाई-फाई हॉटस्पॉट से कनेक्ट करके हाई-स्पीड इंटरनेट एक्सेस कर सकते हैं। इसके लिए बीएसएनएल वाई-फाई रोमिंग पोर्टल पर जाकर अपना एफटीटीएच नंबर और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर दर्ज करना होता है। यह जानकारी सत्यापित होने के बाद ओटीपी प्राप्त होता है जिसे दर्ज करके सेवा को सक्रिय कर सकते हैं। एक बार सक्रिय होने के बाद पूरे भारत में बीएसएनएल वाई-फाई हॉटस्पॉट से जुड़कर अपना इंटरनेट कनेक्शन इस्तेमाल कर सकते हैं। नॉन-बीएसएनएल यूजर्स भी यूआईपी के माध्यम से बीएसएनएल हॉटस्पॉट तक पहुंच सकते हैं। इसके लाभ यह है कि अपने घर के बाहर भी हाई-स्पीड इंटरनेट का आनंद ले सकते हैं। यह सेवा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी हाई-स्पीड इंटरनेट तक पहुंच प्रदान कर सकती है। यह बीएसएनएल की छवि को बेहतर बनाने और देश में अपनी पहुंच का विस्तार करने में मदद करती है।
उन्होंने बताया कि धारवाड़, गदग एवं हावेरी राजस्व जिले में अभी भी लगभग 21 हजार उपभोक्ता 2 जी एवं 3 जी सिम का उपयोग कर रहे हैं। ये सभी उपभोक्ता अपने सिम को नि:शुल्क 4 जी में अपग्रेड कर सकते हैं। ये उपभोक्ता अपने सिम को अपग्रेड करने के लिए हमारे नजदीकी रिटेलर शॉप पर जा सकते हैं।
महाप्रबंधक ने बताया कि भारतनेट परियोजना ग्रामीण भारत को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोडऩे, समावेशी विकास को बढ़ावा देना तथा शहरी और ग्रामीण समुदायों के बीच विकास के अंतर को कम करना है। राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क को वर्ष 2011 में लॉन्च किया गया था तथा बाद में वर्ष 2015 में संचार मंत्रालय के तहत इसका नाम बदलकर भारतनेट परियोजना कर दिया गया। इसका उद्देश्य देश भर में प्रत्येक ग्राम पंचायत को हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना है। यह विश्व की सबसे बड़ी ग्रामीण दूरसंचार परियोजनाओं में से एक है, जो किफायती ब्रॉडबैंड पहुंच प्रदान करने तथा ग्रामीण भारत में ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा और ई-गवर्नेंस जैसी विभिन्न सेवाएं शुरू करने में सक्षम बनाती है।