scriptमेहनत, ईमानदारी और सहनशीलता से बिजनेस में आगे बढ़ रहा सीरवी समाज, देश में आठ सौ से अधिक वढ़ेर | Patrika News
हुबली

मेहनत, ईमानदारी और सहनशीलता से बिजनेस में आगे बढ़ रहा सीरवी समाज, देश में आठ सौ से अधिक वढ़ेर

आईपंथ के अनुयायी सीरवी समाज के लोग अपनी ईमानदारी, सहनशीलता और मेहनत के उसूलों पर चलते हुए बिजनेस में आगे बढ़ रहे हैं। देशभर में आईमाता की करीब आठ सौ वढ़ेर (मंदिर) है। कर्नाटक में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने आए सीरवी समाज के धर्मगुरु दीवान माधोसिंह ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

हुबलीMar 14, 2025 / 05:27 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

सीरवी समाज के धर्मगुरु दीवान माधोसिंह की राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत

सीरवी समाज के धर्मगुरु दीवान माधोसिंह की राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत

सवाल: सीरवी समाज बिजनेस के क्षेत्र में किस तरह आगे बढ़ रहा है?
दीवान माधोसिंह:
सीरवी समाज के लोग बिना पैसे, बिना पढ़ाई एवं बिना तजुर्बे के दक्षिण भारत में आए और बिजनेस के क्षेत्र में सफलता हासिल की। मेहनत एवं ईमानदारी के बल पर वे सफलता के पायदान पर चढ़ पाए। करीब साढ़े चार दशक से राजस्थान से सीरवी समाज के लोगों का दक्षिणी प्रांतों की तरफ आने का क्रम बना हुआ है। शुरुआत में जैन समुदाय के लोगों के पास बिजनेस की बारीकियां सीखीं। पहले सीरवी समाज के लोग राजस्थान में खेती-बाड़ी का काम करते थे लेकिन पानी की कमी की वजह से दक्षिण की तरफ रूख करना पड़ा। अब सीरवी समाज की लगभग 75 फीसदी आबादी राजस्थान से बाहर अन्य प्रदेशों में बिजनेस कर रही है। पिछले करीब पांच वर्ष से सीरवी समाज के लोग उद्योग के क्षेत्र में भी आगे बढऩे लगे हैं।
सवाल: देश में कितनी वढ़ेर हैं और इनका संचालन किस तरह किया जा रहा है?
दीवान माधोसिंह:
जहां भी सीरवी समाज के लोगों की 15-20 दुकानें हुईं। वहां जमीन लेकर वढ़ेर का निर्माण करवाया जाता है। यह परम्परा वर्षों से चल रही है। यही वजह है कि देश में आज आठ सौ से अधिक आई माता वढ़ेर बन चुकी है। सभी वढेर में सामूहिक योगदान रहता है। साढ़े पांच सौ वर्ष से धर्म के लिए लोग योगदान करते रहे हैं। खास बात यह है कि सभी वढ़ेर आत्मनिर्भर है। हर वढ़ेर में प्रति सदस्य प्रति माह 500 रुपए से लेकर एक हजार रुपए का सहयोग करते हैं। इससे व्यवस्थाएं सुचारू बनी रहती है। हर वढ़ेर के रखरखाव एवं बेहतर संचालन के लिए ट्रस्ट या कमेटी बनी हुई है। मध्यप्रदेश के सात जिलों में करीब 280 वढ़ेर है। बेंगलूरु में 65 और चेन्नई में 55 वढ़ेर है।
सवाल: दक्षिणी भारत में तिरुपति में बनाई जा रही वढ़ेर कब तक पूरी होने के आसार है?
दीवान माधोसिंह:
सीरवी समाज का सबसे बड़ा धाम राजस्थान के जोधपुर जिले के बिलाड़ा में हैं। अब दक्षिणी भारत के तिरुपति में आई माता वढ़ेर का निर्माण किया जा रहा है। तिरुपति में करीब तीस हजार स्क्वायर फीट परिसर के अन्दर वढ़ेर बनाई जा रही है। अगले एक साल में निर्माण पूरा होने की संभावना है। तिरुपति में आईमाता वढ़ेर के साथ ही भवन बनाया जा रहा है। इससे दक्षिणी भारत के राज्यो में निवास कर रहे सीरवी समाज के लोगों को सुविधा होगी।
सवाल: सीरवी समाज में शिक्षा को बढ़ाने के लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?
दीवान माधोसिंह:
अब समाज के होनहार छात्रों को आगे ले जाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। समाज के छात्रों को गाइडेंस देने एवं उन्हें कम्पीटिशन की तरफ मोड़ा जा रहा है। नई पीढ़ी शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही है।
सवाल: सीरवी समाज में नशे की रोकथाम के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
दीवान माधोसिंह:
समाज के सार्वजनिक, सामाजिक-धार्मिक आयोजनों में नशे पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। अब किसी सार्वजनिक मंच पर नशा नहीं हो रहा है। यह समाज में एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है।
परिचय:
दीवान माधोसिंह ने बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग की शिक्षा हासिल की। बाद में कुछ समय तक जापान में रहे। राजस्थान की राजनीति में लम्बे समय तक सक्रिय रहे। पांच बार विधायक रहे। राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। सीरवी समाज के धर्मगुरु के रूप में समाज उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत है।

Hindi News / Hubli / मेहनत, ईमानदारी और सहनशीलता से बिजनेस में आगे बढ़ रहा सीरवी समाज, देश में आठ सौ से अधिक वढ़ेर

ट्रेंडिंग वीडियो