इंदौर में नामांतरण व सीमांकन के प्रकरणों में आम जनता से हकीकत जानने के लिए सुशासन संवाद केंद्र से फोन लगाकर फीड बैक लिया जा रहा है। एक फोन पर पीड़ित महिला ने खुलासा किया कि बगैर पैसे लिए पटवारी कोई काम नहीं करती हैं। फील्ड बुक बनाने के 90 हजार रुपए दिए थे। दूसरे आवेदन का निराकरण नहीं किया।
लगातार शिकायतें मिलने के बाद निगरानी के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने कलेक्ट्रेट में सुशासन संवाद कक्ष बनाया। यहां की टीम आवेदकों से बात करती है। हाल ही में राऊ के निहालपुर मुंडी की जमीन मालिक महिला के पास संवाद केंद्र से फोन गया। महिला ने सीमांकन का आवेदन लगा रखा था। पीड़िता ने बताया, जमीन की फील्ड बुक के लिए दूसरी बार आवेदन कर 90 हजार रुपए दिए, तब चार माह बाद फील्ड बुक दी गई। पटवारी कहते हैं मैंने काम कर दिया, लेकिन तहसीलदार नहीं कर रहे हैं तो शिकायत कर दो।
17 पटवारियों की विभागीय जांच
सीमांकन को लेकर आरआइ व पटवारियों के 17 मामले सामने आए हैं, जिसमें तहसीलदार स्तर पर ऑनलाइन आवेदन का निराकरण हो गया, लेकिन आवेदक को फील्ड बुक की कॉपी नहीं मिली। कलेक्टर ने सभी एसडीओ को विभागीय जांच करने के निर्देश दिए हैं।
अपर कलेक्टर राजेंद्र सिंह रघुवंशी ने बताया कि पटवारियों से संबंधित कई शिकायतें आ रही हैं। सभी प्रकरणों की जांच करा रहे हैं। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।