इस बार परीक्षा का लेवल कुछ कठिन था। इससे टॉप रैंक पाने वाले विद्यार्थियों का स्कोर पिछले सालों की तुलना में कुछ कम हो सकता है, इसका लाभ उन विद्यार्थियों को मिल सकता है जो बॉर्डर लाइन स्कोर पर हैं।
लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा
भले ही आइआइटी इंदौर की एनआइआरएफ रैंकिंग 16 है, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसकी लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा हुआ है। इसका कारण सिर्फ शानदार एकेडमिक करिकुलम और उत्कृष्ट प्लेसमेंट रिकॉर्ड ही नहीं, बल्कि यहां का रिसर्च एनवायरनमेंट और स्टूडेंट फ्रेंडली अप्रोच भी है। पिछले साल के कटऑफ की बात करें तो आइआइटी इंदौर के बीटेक कंप्यूटर साइंस ब्रांच के लिए जनरल कैटेगरी में क्लोजिंग रैंक 1389, ओबीसी में 649, एससी में 329, एसटी में 168 और ईडबल्यूएस में 218 रही।
सुपर न्यूमरेरी सीट्स ने बदली तस्वीर
एक्सपर्ट भूपेंद्र भावसार बताते हैं कि 2018 तक आइआइटीज़ में लड़कियों की भागीदारी बेहद कम थी। इसे बदलने के लिए सुपर न्यूमरेरी सीट्स लागू की गईं, जिसके तहत हर कोर्स में 20 फीसदी सीटें फीमेल कैंडिडेट्स के लिए आरक्षित कर दी गईं। इसका असर आइआइटी इंदौर में साफ नजर आया। बीते वर्ष यहां ओपनिंग रैंक 933 और क्लोजिंग रैंक 7732 रही, वहीं फीमेल कैंडिडेट्स के लिए क्लोजिंग रैंक 19770 थी यानी अब छात्राएं भी खुलकर अपने ड्रीम इंस्टिट्यूट को चुन पा रही हैं।
इसलिए आइआइटी इंदौर खास
इंटरडिसिप्लिनरी कोर्स स्ट्रक्चर : यहां पर एआइ, डेटा साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और रोबोटिक्स जैसे ट्रेंडिंग कोर्सों में बेहतरीन एकेडमिक कंटेंट है। इंटरनेशनल कोलैबोरेशन : कई प्रोजेक्ट्स विदेशी यूनिवर्सिटीज के साथ मिलकर किए जा रहे हैं। इंटर्नशिप और प्लेसमेंट : टॉप कंपनियां जैसे गूगल, अमेजन, माइक्रोसॉट हर साल बड़ी संया में स्टूडेंट्स को चुनती हैं।