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कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. दिगपाल धारकर के मुताबिक, ‘कुछ धुएं कैंसर का कारण बन सकते हैं। इन्हें कार्सिनोजेनिक धुआं कहा जाता है, जिनमें ऐसे पदार्थ होते हैं जो कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं। तंबाकू के धुएं से फेफड़ों, गले और अन्य प्रकार के कैंसर तो डीजल के धुएं से फेफड़े और मूत्राशय के कैंसर का खतरा होता है। रासायनिक धुएं में वाष्पशील कार्बनिक यौगिक होते हैं, जो कैंसरकारी हो सकते हैं। कई मामलों में तो सालों बाद भी कैंसर का खतरा रहता है। लोगों को सुझाव दिया जाता हैै कि अगर वे कार्सिनोजेनिक धुएं के संपर्क में आते हैं तो किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें।’
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डॉ. पीयूष जोशी
(एमडी )के मुताबिक, ‘रासायनिक कचरे की राख को जमीन में डंप करने से दुष्प्रभाव की आशंका रहती है। राख को जमीन में डंप करने से भूमिगत जल के दूषित होने की पूरी आशंका रहती है। पीथमपुर से यशवंत सागर जुड़ा है, बेटमा इलाका भी लगा है, जहां तक प्रभाव हो सकता है। इस तरह का दूषित जल पीने से कैंसर का खतरा रहता है। साथ ही गर्भवती महिला संपर्क में आती है तो गर्भस्थ बच्चा प्रभावित हो सकता है और पैदा होने पर उसमें विकृति की आशंका रहती है। त्वचा रोग का भी खतरा रहता है।’
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डॉ. योगेंद्र व्यास
, शिशु रोग विशेषज्ञ व फिटनेस कोच के मुताबिक, ‘पीथमपुर पहुंचा यूनियन कार्बाइड का कचरा(Union Carbide waste) 40 साल पुराना है। इसमें कोई केमिकल बचा नहीं है। विशेषज्ञ एनालिसिस भी कर रहे हैं। भोपाल से पीथमपुर इसलिए आया है, क्योंकि यहां मौजूद रामकी कंपनी इंटरनेशनल होने के साथ वेस्ट मैनेजमेंट का अनुभव भी रखती है। कई लोग बोल रहे हैं कि कचरे से नुकसान होगा व पर्यावरण प्रदूषित होगा। इसके बारे में कहूंगा कि भोपाल में यूनियन कार्बाइड की 70 एकड़ जमीन है। इसमें से 30 एकड़ पर कई सालों से अतिक्रमण है। वहां लोग रह रहे हैं। उन्हें असर हुआ या नहीं, इसकी स्टडी पहले कर ली जाए। रामकी कंपनी नौ माह में पूरे मापदंड के साथ इसका निष्पादन करेगी। सभी उत्सर्जित गैसों की निगरानी होगी। फिल्टर भी लगा है। इसलिए चिंतित नहीं होना चाहिए।’