EWS : नगर में अवैध कॉलोनियां पैर पसारती रहीं और सिस्टम मूक दर्शक बना रहा। अवैध कालोनियां बसाने वालों ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए प्लॉट भी सुरक्षित नहीं रखे। कॉलोनी क्षेत्र में न तो उद्यान बनाए और न ही खेल मैदान के लिए जगह छोड़ी। सामुदायिक भवन निर्माण के लिए भी भूमि का प्रावधान नहीं किया।
EWS : ये है नियम, पेय जल के लिए टंकी, पाइपलाइन, सीवर की व्यवस्था भी नदारद
भूमि विकास नियम के प्रावधानों के अनुसार कुल जनरल प्लाट यानी की उद्यान, कमर्शियल प्लाट, सामुदायिक भवन का भूखंड छोडऩे के बाद जो प्लाट बचते हैं उनके 9 प्रतिशत प्लाट ईडब्ल्यूएस कोटा में आरक्षित रखे जाने चाहिए। इसके साथ ही 6 प्रतिशत प्लाट एलआईजी के लिए आरक्षित होने चाहिए लेकिन अवैध कालोनाइजरों ने एक-एक इंच जमीन का सौदा कर दिया।
EWS : बढ़ता है बोझ
प्रॉपर्टी डीलर, बिल्डरों ने अवैध कॉलोनी तो बसाकर छोड़ दीं, लेकिन उनमें मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गईं। इन कॉलोनियों के रहवासी अब सडक़, बिजली, पानी, ड्रेनेज के निर्माण के लिए पार्षदों से लेकर विधायक व अन्य जनप्रतिनिधियों का दरवाजा खटखटाते हैं। सरकारी फंड से इन कॉलोनियों में इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है। यानी बिल्डर यहां प्लॉट बेचकर करोड़ों कमाने के बाद अपनी जिमेदारियों से मुक्त हो गए और सरकारी सिस्टम पर ही अवैध कालोनियों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का बोझ पड़ रहा है।
EWS : पेयजल, सीवर लाइन नहीं
गोहलपुर, माढ़ोताल, मानेगांव, पुरवा, गढ़ा, अमखेरा से लेकर जिन भी इलाकों में अवैध कॉलोनियों की संया है। ये इलाके गर्मी के दिनों में बड़े जल संकट से जूझते हैं। बरसात के दिनों इन क्षेत्रों की अवैध कालोनियों में जलभराव की बड़ी समस्या हो जाती है। विशेषकर चंदन कॉलोनी, नवनिवेश कॉलोनी, अमखेरा, करमेता, मानेगांव क्षेत्रों में लोगों के घरों में कई फीट तक जलभराव हो जाता है। दरअसल बिल्डरों ने इन कॉलोनियों में न तो पेय जल के लिए उच्च स्तरीय टंकियां बनाई हैं और न ही वर्षा जल निकासी के लिए उपयुक्त ड्रेनेज सिस्टम ही तैयार किया है। इसके कारण इन क्षेत्रों में जलभराव बड़ी समस्या बनी हुई है।