PPE kit किसानों के लिए वरदान, कीटनाशकों से बचाने बन सकती है कवच, जाने पूरा मामला
PPE kit कीटनाशकों के दुष्प्रभाव को लेकर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय किसानों को जागरूक करता है। अभी बाजार में किसान कवच और संरक्षण किट नाम से प्रोडक्ट आता है।
PPE kit : कोरोनाकाल खत्म होने के बाद पीपीई किट का उपयोग कम हो गया है। यह अब उन किसानों के लिए जीवनदायी बन सकता है जो कि फसलों में कीटनाशक का छिड़काव करते हैं। कीटनाशकों के दुष्प्रभाव को लेकर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय किसानों को जागरूक करता है। अभी बाजार में किसान कवच और संरक्षण किट नाम से प्रोडक्ट आता है। यदि सरकार पहल करे ओर रियायती दरों पर इसे उपलब्ध कराए तो अन्नदाता को नुकसान से बताया जा सकता है
बाजार में अभी सुरक्षा किट महंगी है। इसकी कीमत 4 सौ से शुरू होती है। सरकार यदि पहल करे तो यह कम दामों में मिल सकती है। कारोबारी राजीव कुमार का कहना है कि सुरक्षा किट का इस्तेमाल जरुरी है। उप संचालक कृषि एसके निगम ने कहा किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
बाजार में कई किस्म के कीटनाशक मिलते हैं। इनका इस्तेमाल कीट, खरपतवार, फफूंद और चूहों को मारने या उन पर नियंत्रण के लिए किया जाता है। जब इसका छिड़काव होता है तब इससे निकलने वाला धुआं सांसों में घुलता है। इस काम में कई बार लापरवाही बरती जाती है।
PPE kit : कीटनाशकों में कई प्रकार के हानिकारक रसायन होते हैं। इनका इस्तेमाल सावधानी के साथ करना चाहिए। यह मानव शरीर के साथ ही मवेशियों को नुकसान पहुंचाते हैं।
डॉ संदीप भगत, मेडिसिन विशेषज्ञ
PPE kit : खतरनाक होता है साबित सुरक्षा जरूरी
जिले में कृषि रकबे का क्षेत्रफल 2 लाख 87 हजार हेक्टेयर है। यहां न केवल अनाज बल्कि दलहन, तिलहन व उद्यानिक फसले उगाई जाती हैं। अब औषधि की खेती भी बडे़ क्षेत्रफल में होने लगी है। फसलों को कीटों से बचाने के लिए कई प्रकार के कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है। जब यह छिड़काव होता हैइसमें निकलने वाला धुआं कीटों को तो नष्ट करता है लेकिन वातावरण में फैल जाता है। जो किसान इसका छिड़काव कर रहा है, वह सुरक्षा के साथ इस काम को नहीं करता तो उसे बड़े नुकसान की आशंका ज्यादा रहती है। इसलिए जरुरी है कि कवच का इस्तेमाल किया जाए। क्योंकि कई ऐसे कीटनाशक हैं जो कि नष्ट नहीं होते। कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि मोनोक्रोटोफोस जो कि प्रतिबंधित कीटनाशक है, इसका असर खत्म नहीं होता। फसल या सब्जी में इसका असर भीतर तक रहता है। किसान बिना किसी सुरक्षा के स्प्रेयर से इसका छिड़काव करता है।
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