Rajasthan Legislative Assembly: राजस्थान विधानसभा में एक बार फिर ‘199’ विधायकों का आंकड़ा चर्चा में आ गया है। बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता समाप्त होने के बाद अब विधानसभा में केवल 199 विधायक रह गए हैं। कंवरलाल मीणा को 20 साल पुराने एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराते हुए 3 साल की सजा मिली है, जिसके चलते विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने उनकी सदस्यता समाप्त करने की अधिसूचना जारी की।
हालांकि, उपचुनाव के बाद इस बार विधानसभा ने कुछ समय के लिए 200 विधायकों की पूर्णता देखी थी, लेकिन अब एक बार फिर से सदन 199 के रहस्यमयी आंकड़े पर आ गया है। यह कोई पहला मौका नहीं है, जब राजस्थान विधानसभा में 200 विधायक एक साथ नहीं रह पाए हों।
भजनलाल सरकार में भी 199 का फेर
दरअसल, 2023 के विधानसभा चुनाव भी 199 सीटों पर ही कराए गए थे, क्योंकि श्रीकरणपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के चलते चुनाव स्थगित कर दिया गया था। बाद में उपचुनाव में रूपेंद्र सिंह विजयी होकर सदन पहुंचे। इससे पहले साल 2018 और 2013 में भी 199 सीटों पर चुनाव कराए गए थे।
फिर सरकार बनते ही बागीदौरा से कांग्रेसी विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीया ने आखिर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। इसके साथ ही उन्होंने विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया था। मालवीय के विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद विधानसभा में फिर से 199 के आंकड़े का फेर शुरू हो गया था।
वहीं, अलवर की रामगढ़ सीट कांग्रेस विधायक जुबेर खान का निधन होने पर यह सीट खाली हो गई थी। उदयपुर की सलूंबर विधायक अमृतलाल मीणा के निधन के बाद खाली हो गई थी। इसके अलावा 5 विधायकों ने लोकसभा चुनाव लड़ा था, इस वजह से राजस्थान में 7 सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इन उपचुनावेों के बाद राजस्थान में फिर से 200 विधायक हो गए थे, लेकिन अब अंता विधायक कंवरलाल मीणा के निष्कासन के साथ फिर से यह संख्या 199 पर पहुंच गई है।
विधानसभा भवन से जुड़ी रहस्यमयी धारणाएं
गौरतलब है कि ज्योति नगर स्थित राजस्थान विधानसभा भवन वर्ष 2001 में नए परिसर में स्थानांतरित हुआ, लंबे समय से वास्तु दोषों और अनहोनी घटनाओं को लेकर सुर्खियों में रहा है। वास्तु शास्त्र के जानकारों की मानें तो यह भवन पूर्व में श्मशान भूमि पर बनाया गया था। साथ ही, भवन का दक्षिणी भाग नीचा है और पश्चिम द्वार का उपयोग वास्तु नियमों के विपरीत बताया जाता है।
यही नहीं, निर्माण के दौरान करीब आधा दर्जन मजदूरों की मौत भी इस इमारत को लेकर रहस्य और डर की आभा पैदा करती है। पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा जैसे नेताओं ने तो इस भवन को गंगाजल से धोने तक की मांग की थी।
वहीं, पिछले कुछ समय में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाने की स्थिति पर ज्योतिष और वास्तुविदों से राय ली थ और विधानसभा के गेट नंबर 5 और 6 को बंद कर पूर्वी द्वार से प्रवेश अनिवार्य किया गया।
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क्या वाकई है ‘199 का शाप’?
अब यह केवल संयोग है या कुछ और, लेकिन यह सच है कि 24 साल के इतिहास में कभी भी पूरे कार्यकाल तक विधानसभा में 200 विधायक एक साथ नहीं टिके हैं। कभी किसी विधायक का निधन, कभी कोई अपराध में दोषी, तो कभी सांसद चुने जाने पर इस्तीफा, कोई न कोई सीट खाली हो ही जाती है। इससे पहले पिछली गहलोत सरकार के दौरान भी बीएल कुशवाह की सदस्यता हत्या के केस में खत्म हुई थी। जिसके चलते विधानसभा में 199 सदस्य रह गए थे।
राजस्थान विधानसभा भवन का यह इतिहास अब मिथक और तथ्य के बीच की बहस बन गया है। चाहे वह वास्तु दोष हो, कोई धार्मिक आस्था, या फिर केवल राजनीतिक संयोग, लेकिन ‘200 का आंकड़ा राजस्थान विधानसभा में स्थायी क्यों नहीं रह पाता?’ यह सवाल अब जनता से लेकर सत्ता के गलियारों तक गूंजने लगा है।