शहरीकरण से घट रहे पेड़, पक्षियों के लिए बढ़ रही मुसीबत
ओ.पी. चौधरी का कहना है कि शहरों के विस्तार के साथ-साथ पेड़-पौधों की संख्या घटती जा रही है, जिसका सीधा असर पक्षियों की आबादी पर पड़ रहा है। बदलते मौसम में सबसे अधिक प्रभावित यही होते हैं—चाहे वह गर्मी हो, सर्दी हो या बरसात। उनका मानना है कि अब समय आ गया है कि पक्षियों के लिए कृत्रिम आवास बनाए जाएं, ताकि वे सुरक्षित रह सकें। वे कहते हैं कि जैसे मनुष्य को घर की जरूरत होती है, वैसे ही पक्षियों को भी “फ्लैट” की आवश्यकता है। इसी सोच के साथ उन्होंने इस अभियान को आगे बढ़ाया है।
अगर पशु-पक्षी नहीं बचेंगे, तो मनुष्य का भी अस्तित्व संकट में होगा
श्री चौधरी का कहना है कि अगर पशु-पक्षी नहीं बचेंगे, तो इंसान का भी अस्तित्व खतरे में आ जाएगा। इसीलिए उन्होंने गायों और पक्षियों के संरक्षण के लिए अभियान छेड़ा है। वे हर वर्ष 1000 से अधिक परिंडे स्वयं के खर्चे और स्थानीय लोगों की मदद से लगवाते हैं। इस अभियान में वे युवाओं को भी सक्रिय रूप से जोड़ते हैं।
युवाओं से की अपील
आगे आएं और प्रकृति संरक्षण में योगदान दें वे कहते हैं कि यह केवल पुण्य का कार्य नहीं है, बल्कि प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने का भी एक बेहतरीन माध्यम है। श्री चौधरी ने युवाओं से आगे आने और इस तरह के प्रयासों में शामिल होने की अपील की है। उनका मानना है कि यदि अधिक से अधिक लोग इस अभियान से जुड़ेंगे, तो हमारी प्रकृति को बचाने में मदद मिलेगी और पक्षियों को भी एक सुरक्षित ठिकाना मिलेगा।